मेरठ से चार बार बने सांसद
शहनवाज खान भारत आने के बाद भारतीय राजनीती का हिस्सा बन गए। वह आजाद हिंदुस्तान में चार बार मेरठ से सांसद चुने गए। इतना ही नहीं, उनके जमाने में मेरठ जैसे संवेदनशील शहर में कभी कोई दंगा-फसाद भी नहीं हुआ। शाहनवाज़ ने 1952 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव मेरठ से जीता था। इसके बाद उन्होंने 1957, 1962 व 1971 में मेरठ से ही लागातार जीत हासिल की। इसके साथ ही वह 23 साल तक केन्द्र सरकार में मंत्री भी रहे।
पाकिस्तान में रह रहे बेटे की वजह फेंस गए थे विवादों में
उनका सगा बेटा 1965 की जंग के दौरान पकिस्तानी सेना में कर्नल था। जिसका नाम है महमूद अली था, जो कि बाद में और भी बड़े पद पर पहुंच गया था। 1965 की जंग में महमूद अली भारत के खिलाफ जंग में शामिल था। शाहनवाज खान उस समय भारत के केंद्रीय कृषि मंत्री थे। लिहाजा, उस समय यह बात देश में आग की तरह फैल गई थी । शाहनवाज खान के बेटे के पाकिस्तानी सेना में होने की बात सामने आने के बाद विपक्ष ने उनसे इस्तीफा मांगा था। इस बात को लेकर काफी हंगामा भी हुआ और वह सियासी दलों व संगठनों के निशाने पर आ गए थे। बताया जाता है कि उस समय शाहनवाज इतने दबाव में आ गए थे कि उन्होंने इस्तीफा देने का मन बना लिया था। हालांकि, तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने उस समय न केवल उनका बचाव किया, बल्कि विपक्ष से भी दो टूक कह दिया कि वह इस्तीफा कतई नहीं देंगे। अगर उनका बेटा दुश्मन देश की सेना में बड़ा अधिकारी है तो इसमें उनकी क्या गलती है।