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अब सवाल यह खड़ा होता है कि जब नियम कानून आम लोगों के लिए पूरी तरह बनाए गए हैं और उन पर नगर निगम और जीडीए अमल भी करता है तो यह नियम अफसरों के मामले में कहां चले जाते हैं। इससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि सभी सरकारी विभाग महानगर में दीपक तले अंधेरा वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। इस प्रकरण का खुलासा करते हुए पार्षद राजेन्द्र त्यागी ने बताया आरटीआई से मिली गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की जवाब की कॉपी हमारे पास उपलब्ध है। पार्षद राजेंद्र त्यागी का कहना है कि जब नियम कानून आम लोगों पर लागू हो सकते हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है तो आखिर कार इन पर नियम कानून किस लिए लागू नहीं होते हैं।
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उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में ट्रांस हिंडन इलाके में झील परिसर में बने मकानों को गाजियाबाद विकास प्राधिकरण और नगर निगम द्वारा ध्वस्त किया जा रहा है। जीडीए के मुताबिक यह कालोनी पूरी तरह झील परिसर में बनाए गए हैं और यह अवैध है। जीडीए का कहना है कि इन लोगों ने किसी तरह की कोई परमिशन नहीं ली थी और न ही कोई नक्शा पास कराया है। उधर नगर निगम का भी यही कहना है कि यहां बने सभी मकान जेल परिसर में बनाए गए हैं, जिसके चलते यह कार्रवाई की जा रही है। इस पर पार्षद राजेंद्र त्यागी का कहना है कि जब यह मकान बनाए जा रहे थे तो सरकारी अधिकारी यानी जीडीए और नगर निगम क्या गहरी नींद में सोए थे, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में मकान एक-दो दिन में तो नहीं बन सकते हैं। जबकि इस इलाके से रोजाना कई बड़े अधिकारी भी निकलते हैं।