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गाज़ियाबाद

यूपी के इस जिले में बिना इजाजत ही बना दिए गए डीएम, एसएसपी और नगर आयुक्त के आवास

जीडीए से बिना स्वीकृति के कानून ताक पर ऱखकर बनाए गए डीएम, एसएसपी और नगर आयुक्त के आवास
डीएम, एसएसपी और नगर आयुक्त आवास का नक्शा नहीं है जीडीए से स्वीकृत
बिना नक्शा पास कराए बनाए गए गरीबों के मकान तोड़ने पर उठे सवाल

गाज़ियाबादJun 01, 2019 / 01:06 pm

Iftekhar

Dm Office

यूपी के इस जिले में बिना इजाजत ही बना दिया गया डीएम, एसएसपी और नगर आयुक्त के आवास का नक्शा

गाजियाबाद. एक तरफ जहां गाजियाबाद विकास प्राधिकरण और नगर निगम तथा जिला अधिकारी शहर में बिना नक्शा पास कराए मकानों और अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर नगर निगम पार्षद और आरटीआई एक्टिविष्ट राजेन्द्र त्यागी ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि आरटीआई में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण से मिली जानकारी से पता चला है कि डीएम आवास, एसएसपी आवास एवं नगर आयुक्त आवास का नक्शा पास करने की कोई भी पत्रावली हमारे पास नहीं है। अब सवाल ये उठता है कि जिस प्रकार से आम गरीब लोगों का बिना नक्शा पास कराए मकानों को ध्वस्त किया जा रहा है ऐसे में इन सरकारी अफसरों के आवास को बिना नक्शा पास कराए बनाए जाने से सिस्टम सवालों के घेरे में आ गया है।

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अब सवाल यह खड़ा होता है कि जब नियम कानून आम लोगों के लिए पूरी तरह बनाए गए हैं और उन पर नगर निगम और जीडीए अमल भी करता है तो यह नियम अफसरों के मामले में कहां चले जाते हैं। इससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि सभी सरकारी विभाग महानगर में दीपक तले अंधेरा वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। इस प्रकरण का खुलासा करते हुए पार्षद राजेन्द्र त्यागी ने बताया आरटीआई से मिली गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की जवाब की कॉपी हमारे पास उपलब्ध है। पार्षद राजेंद्र त्यागी का कहना है कि जब नियम कानून आम लोगों पर लागू हो सकते हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है तो आखिर कार इन पर नियम कानून किस लिए लागू नहीं होते हैं।

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उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में ट्रांस हिंडन इलाके में झील परिसर में बने मकानों को गाजियाबाद विकास प्राधिकरण और नगर निगम द्वारा ध्वस्त किया जा रहा है। जीडीए के मुताबिक यह कालोनी पूरी तरह झील परिसर में बनाए गए हैं और यह अवैध है। जीडीए का कहना है कि इन लोगों ने किसी तरह की कोई परमिशन नहीं ली थी और न ही कोई नक्शा पास कराया है। उधर नगर निगम का भी यही कहना है कि यहां बने सभी मकान जेल परिसर में बनाए गए हैं, जिसके चलते यह कार्रवाई की जा रही है। इस पर पार्षद राजेंद्र त्यागी का कहना है कि जब यह मकान बनाए जा रहे थे तो सरकारी अधिकारी यानी जीडीए और नगर निगम क्या गहरी नींद में सोए थे, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में मकान एक-दो दिन में तो नहीं बन सकते हैं। जबकि इस इलाके से रोजाना कई बड़े अधिकारी भी निकलते हैं।

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