थाना इंदिरापुरम क्षेत्र में रहने वाले नितिन कुमार ने बताया कि उन्होंने एक चिकित्सक से अपॉइंटमेंट के लिए नीति खंड- 1 की अवंतिका अस्पताल की ओपीडी में फोन कॉल की। जिसने फोन पिक किया उसने बताया कि अस्पताल की तरफ से अब एक नई व्यवस्था शुरू की गई है। जिसके तहत आपको ₹5 का ऑनलाइन टोकन लेना होगा।उसके बाद ही आपको अपॉइंटमेंट मिल पाएगा।उसके बताने के अनुसार नितिन ने ₹5 की ऑनलाइन पेमेंट की तो कुछ देर बाद ही उनके खाते से दो बार में ₹75000 निकाल लिए गए।
उन्होंने बताया कि जैसे ही उनके फोन पर पैसे निकाले जाने का मैसेज आया, वह आनन-फानन में अस्पताल पहुंचे और सारी जानकारी अस्पताल के चिकित्सक डॉक्टर युवराज को दी, तो नितिन को जानकारी मिली कि जिस नंबर पर नितिन ने फोन किया था। वह कॉल डायवर्ट होकर हैकर के पास जा रही थी। उसके बाद वह फोन बंद कर दिया गया। लेकिन जब नितिन ने डॉक्टर युवराज को सारी बात बताई तो उन्होंने यह शिकायत स्थानीय पुलिस के साथ-साथ मोबाइल कंपनी को भी दी है।
नितिन ने बताया कि इसी दौरान डॉ युवराज ने अपने अन्य साथियों से इस बारे में जानकारी ली और उन्हें पूरी बात बताई तो पता चला,कि इस तरह का गैंग सक्रिय है। इससे पहले भी इंदिरापुरम इलाके में ही रहने वाले एक शख्स के साथ करीब 15 दिन पहले ऐसी ही घटना घट चुकी है। उसके खाते से भी बड़ी रकम साइबर ठगों ने निकाली है। डॉक्टर युवराज के करीबी साथियों ने बताया कि 5 नवंबर 2020 को भी वैशाली स्थित एक बड़े अस्पताल का नंबर हैक करने के बाद साइबर ठगों ने बड़ी रकम ठगी थी। जिसका अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है।
उधर इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए एसपी द्वितीय ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि इस तरह का मामला संज्ञान में आया है।अस्पताल प्रबंधन और पीड़ित ने इस तरह की शिकायत दी है।इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए साइबर सेल टीम को यह मामला सौंपा गया है। उम्मीद है जल्द ही साइबर सेल टीम साइबर ठगों को गिरफ्तार करने में कामयाब होगी। उन्होंने बताया कि जिस तरह से इस तरह की घटना सामने आ रही है। तो अब लोगों को काफी सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि किसी भी अनजान नंबर से आए लिंक को ना खोलें और कोई भी कारण बताकर यदि आपके मोबाइल पर आया हुआ ओटीपी मांगता है तो उसे कतई ना दें। इसके अलावा किसी भी बहाने से आपके खाते से संबंधित जानकारी ली जाती है,तो बिल्कुल ना दें और पेमेंट के लिए कभी किसी लिंक पर क्लिक न करें। इसके बजाय मोबाइल नंबर लेकर खुद पेमेंट करें या कोई भी शख्स फोन पर पहचान पत्र से जुड़ी कोई भी जानकारी मांगता है, तो फोन पर जब तक ना दें। जब तक आप सामने वाले से पूरी तरह संतुष्ट ना हो। उन्होंने कहा कि यदि इस तरह की सावधानी बरती जाती हैं। तो निश्चित तौर पर साइबर क्राइम से बचा जा सकता है।