Ground Report : एनकाउंटर में घायल नाबालिग का दावा- पुलिस ने गोदाम में पहुंचते ही सभी के पैर में गोली मारनी शुरू दी थी
गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर थाना क्षेत्र में पुलिस और गो तस्करों के बीच हुई मुठभेड़ के दौरान सात घायलों में एक नाबालिग आसिफ भी शामिल था, जो करीब 20 दिन पहले ही कबाड़ के गोदाम में मजदूरी करने आया था। आसिफ के परिजनों का दावा है कि पुलिस की थ्योरी निराधार है। आसिफ का कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है।
गाजियाबाद. दिल्ली से सटे गाजियाबाद के लोनी बॉर्डर क्षेत्र में छठ पर्व के दिन पुलिस ने 7 गो तस्करों को एनकाउंटर में पैर में एक ही स्थान पर गोली मारकर पकड़ने का दावा किया था। जबकि दो तस्करों को फरार बताया था। यूं तो यूपी में बदमाशों और पुलिस के बीच तमाम मुठभेड़ हुई हैं, लेकिन इस मुठभेड़ ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। खुद पुलिस अधिकारियों को भी इस एनकाउंटर पर शक है। इसी वजह से एक साथ सात लोगों को एनकाउंटर में घायल करने वाले इंस्पेक्टर राजेंद्र का सम्मान करने के बजाय तबादला कर दिया गया और उसके बाद अनुशासनहीनता में सस्पेंड भी कर दिया गया। इस एनकाउंटर में एक नाबालिग भी पुलिस की गोली से घायल हुआ है। आखिर इस एनकाउंटर का सच और गोली खाने वाले युवकों की पृष्ठभूमि क्या है? इसका पता लगाने के लिए ‘पत्रिका’ संवाददाता तजेश चौहान ने एक आरोपी के घर जाकर उसके परिवार से बात की। पेश है ग्राउंड जीरो से ये रिपोर्ट।
दरअसल, लोनी बॉर्डर पुलिस के एनकाउंटर में 7 युवकों को गोली लगी थी। इनमें एक 16 वर्षीय युवक आसिफ भी शामिल था। नाबालिग आसिफ का परिवार अशोक विहार में रहता है। आसिफ की मां समीना ने बताया कि वह खुद बागपत के मकनपुर गांव की रहने वाली हैं। 22 साल पहले उनकी शादी गाजियाबाद के शहीद नगर में रहने वाले यूनुस के साथ हुई थी। 11 साल पहले उनके पति यूनुस का इंतकाल हो गया था। उनके 6 बेटे और एक बेटी है। सबसे बड़ा बेटा इंतजार है। उनके परिवार की माली हालत ठीक नहीं है। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण ठीक से बच्चों का पालन पोषण नहीं कर पा रही हैं। साथी ही बच्चों की पढ़ाई भी ठीक से नहीं करा पाई।
यह भी पढ़ें- गो-तस्करों के एनकाउंटर का मामला, BJP MLA नंदकिशोर गुर्जर ने एसएसपी पर लगाएं गंभीर आरोपपुलिस पर लगाया जानकारी नहीं देने का आरोप उन्होंने बताया कि उनका 16 वर्षीय बेटा आसिफ पहले मजदूरी करने जाता था, लेकिन उसके बड़े भाई इंतजार ने 20 दिन पहले ही आसिफ को भी अपने साथ बेहटा हाजीपुर स्थित कबाड़ के गोदाम पर ही रखवा दिया था। आसिफ को वहां रोजाना 360 रुपये मिल रहे थे। आसिफ रात को अक्सर गोदाम पर ही सो जाता था और कभी-कभी घर आ जाता था। 11 नवंबर की रात भी वह गोदाम पर ही रुक गया था। उन्होंने बताया कि एनकाउंटर के दो दिन बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर एक फोटो और वीडियो देखा, जिसमें सात लोग खड़े हुए थे और सभी के पैर में गोली लगी हुई थी। उन्हें पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किया जाना बताया गया। इन सातों में उनका 16 वर्षीय बेटा आसिफ और उसका बड़ा भाई इंतजार भी था। जैसे ही उन्हें यह पता चला तो उनके पैरों तले जैसे जमीन ही न रही। उन्होंने तमाम जगह जानकारी करने का प्रयास किया। क्योंकि घटना के बाद भी पुलिस ने परिजनों को कोई जानकारी नहीं दी थी।
‘आसिफ का नहीं है कोई आपराधिक इतिहास’ समीना ने बताया कि उनके दोनों बेटे आसिफ और इंतजार ही मजदूरी करते थे और उनकी आमदनी से ही घर का खर्च चलता था। उन्होंने कहा कि जिस तरह से पुलिस ने गाय कटान के गोदाम पर उन्हें दिखाया और मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया है, वह बिल्कुल गलत है। वह एक कबाड़ का गोदाम है, वहां और भी लोग रहते हैं। समीना का दावा है कि उन्होंने भी जानकारी जुटाई है। साथ ही आसिफ ने बताया है कि सभी सातों लोग गोदाम के अंदर मौजूद थे। वहां गाय कटान का कोई काम नहीं हो रहा था। अचानक पुलिस गोदाम के अंदर पहुंची और सभी के पैर में गोली मारनी शुरू कर दी। आसिफ के पैर में दो गोली लगीं, जिसके बाद सभी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। समीना ने बताया कि बेटों का किसी भी तरह का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। वह तो केवल मजदूरी कर परिवार का पेट पाल रहे थे।
बहुत दर्द होता है अम्मी समीना ने बताया कि शुक्रवार को जेल में वह आसिफ से मिलने गई थी, लेकिन जब आसिफ को मिलाया गया तो वह चल नहीं पा रहा था। क्योंकि उसके पैर में दो गोली लगी थीं। पैर में ज्यादा जख्म था। आसिफ ने बताया कि उसके पैर में पस पड़ चुकी है। बहुत दर्द होता है अम्मी। आसिफ का आरोप है कि जेल के अंदर ज्यादा दर्द होने पर केवल एक दर्द की गोली दी जाती है और किसी तरह का कोई खास इलाज नहीं हो रहा है। समीना ने बताया कि जब आसिफ ने यह सब बताया तो उनका कलेजा भर आया और फूट-फूटकर रोने लगी। आसिफ की मां का कहना है कि फिलहाल वह अपने बच्चों के घर आने के इंतजार में हैं और वकील के माध्यम से जमानत के लिए अर्जी दाखिल की है। जमानत के लिए भी रिश्तेदारों से सहायता लेनी पड़ रही है।
ये है मामला बता दें कि 11 नवंबर की सुबह तत्कालीन लोनी बॉर्डर थाने के इंस्पेक्टर राजेंद्र त्यागी ने बेहटा हाजीपुर में मुखबिर की सूचना पर प्रतिबंधित पशु काटने को लेकर छापा मारा था। इंस्पेक्टर राजेंद्र त्यागी के अनुसार, पहले बदमाशों ने फायरिंग की, पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में 7 लोगों को पैर में गोली मार पकड़ लिया। सभी के पैर में एक ही स्थान पर गोली लगने का मामला मीडिया में आया तो एसएसपी ने संज्ञान लेते हुए इंस्पेक्टर राजेंद्र त्यागी का तबादला इंदिरापुरम थाने में कर दिया। तबादले की खबर मिलते ही इंस्पेक्टर जीडी में कुछ दिन के लिए कार्यमुक्त करने की बात लिख दी, जिसके बाद एसएसपी अनुशासनहीनता पर निलंबित कर दिया। एनकाउंटर के विवादों में घिरने के बाद एसएसपी ने विभागीय जांच बिठा रखी है।