केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने इस मौके पर डिजिटल माध्यम उन्नत तकनीक के प्रयोग से अपराध और अपराधियों की कमर तोड़ने के बारे में तमाम बातों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि डिजिटल माध्यम से उन्नत तकनीक का प्रयोग करके अपराध और अपराधियों की कमर तोड़ने में अब पुलिस कामयाब हो रही है। साइबर क्राइम से निपटने के लिए भी भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र आई4सी बनाया गया है और अंतर प्रचलित अपराधिक न्याय प्रणाली-2 को भी लागू करते हुए अप्रैल से कार्य शुरू हो गया है।
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सुशांत सिंह राजपूत पर फिल्म बनाने के नाम पर लिया था होटल, खाया-पिया, ऐश की फिर दिखाया ठेंगा हर अपराधी के फिंगरप्रिंट, डीएनए और रेटिना की जानकारी होगी ऑनलाइन उन्होंने बताया कि इसकी मदद से हर अपराधी के फिंगरप्रिंट, डीएनए और रेटिना समेत सभी जानकारी देश के सभी 16670 थानों के साथ कोर्ट और विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं और जेल में एक क्लिक पर ही ऑनलाइन उपलब्ध होगी। यानी इससे अपराधी का बचना अब मुश्किल ही नामुमकिन होगा। एक क्लिक करते ही अपराधी की पूरी कुंडली सामने आ जाएगी।
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गाजियाबाद में 5 साल की बच्ची में मिले मंकीपॉक्स के लक्षण, स्वास्थ्य विभाग में मची खलबली 2025-26 तक योजना के पूरा करने का लक्ष्य अजय मिश्रा ने कहा कि अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क प्रणाली 2009 में आई थी, लेकिन परिणाम 2015 में आईसीजेएस से जुड़ने के बाद मिलने शुरू हुए। उन्होंने कहा कि डिजिटल माध्यम से प्रमाणिक और वैज्ञानिक साक्ष्य बड़ी आसानी से जुटाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने देश भर में कुल 117 विधि विज्ञान प्रयोगशाला स्थापित की हैं और अब इन्हें और बेहतर बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अपराधियों को बचने की गुंजाइश बिल्कुल ना रहे, इसके लिए पुलिस विभाग के पैरों में बंधी सीमा की बेड़ियों तोड़ने के लिए 3375 करोड़ रुपए की लागत से आईसीजेएस-2 का कार्य शुरू कर दिया गया है। उम्मीद है कि यह 2025-26 तक पूरा हो जाएगा।