गौरतलब है कि दिल्ली-मेरठ एकसप्रेस-वे का निर्माण भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) करा रही है। इसी के लिए के हुए जमीन गाजियाबाद के रजापुर ब्लॉक के पूर्व मंडल अध्यक्ष भाजपा यतेंद्र सिंह ने मेरठ के मंडलायुक्त डॉ.प्रभात कुमार सिंह, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय में पत्र लिखकर शिकायत की। इस में उन्होंने बताया ता कि डिडवारी चितौड़ा गांव के दो भाई दुलीचंद और गोपीचंद ने एनएचएआइ और प्रशासन के कुछ अफसरों से साठगांठ कर एक्सप्रेस-वे में बिना जमीन दिए ही करीब 56 लाख रुपये का मुआवजा 2014 में उठा लिया। दोनों भाइयों ने रकबा नंबर 514 से 1245 मीटर जमीन का मुआवजा उठाया। इसमें से दुलीचंद ने 27, 81, 368 और गोपीचंद ने 27,81, 412 रुपये का मुआवजा उठा लिया।
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शिकायतकर्ता ने पाया कि दोनों भाइयों ने जिस जमीन का मुआवजा उठा है, वह जमीन एक्सप्रेस-वे से करीब एक किलोमीटर अंदर की ओर है। शिकायत के बाद मामले की जांच मंडलायुक्त ने डीएम को कराने के निर्देश दिए। डीएम के आदेश पर एडीएम वित्त एवं राजस्व सुनील कुमार सिंह ने जांच की तो मामले में अनियमितता खुलकर सामने आ गई। जांच में पाया गया कि जिस जमीन का मुआवजा आरोपितों ने लिया है, वह जमीन एक्सप्रेस-वे के एलाइनमेंट से लगभग ढाई सौ मीटर दूर है। कोई भी रास्ता जमीन तक जाने के लिए नहीं है। एनएचएआइ ने एक्सप्रेस-वे के सीमांकन के समय कोई ध्यान नहीं दिया।
संबंधित अधिकारी ने बताया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर एनएचएआइ के चेयरमैन को नोटिस भेजा जा रहा है। बिना जमीन दिए जिन्होंने लाखों रुपया ले लिया है। जिसे दुबारा वापस पाने के लिए प्रशासन को अब मशक्कत करनी पड़ रही है। वहीं, एडीएम वित्त एवं राजस्व सुनील कुमार सिंह ने इस पूरे मामले पर कहा कि शिकायत मिली थी कि डिडवाड़ी चितौड़ा के दो भाइयों ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे में जमीन दिए बिना ही करीब 56 लाख रुपये का मुआवजा उठा लिया है। जांच की गई तो मामले में एनएचएआइ की अनियमितता सामने आई है। सीमांकन के समय इसका ध्यान नहीं दिया गया।