पिछले पांच साल के दौरान कुत्तों की नसबंदी पर साढ़े 14 लाख रूपए खर्च करने के बावजूद कुत्ते आमजन पर भारी पड़ रहे हैं। मजे की बात यह है, कि नगर निगम के हेल्थ विभाग भले ही आवारा कुत्तों को पकड़ने और उनकी नसबंदी पर एक मोटी रकम खर्च कर रहा है, लेकिन उसके पास शहर के किसी भी इलाके से कुत्तों के काटे जाने से संबंधित शिकायत नहीं है। निगम के हेल्थ विभाग पर आवारा कुत्तों की गणना भी नहीं है।
नगर निगम के नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा आरबी सुमन के द्वारा इंदिरापुरम की आदित्य मेगा सिटी की प्रियंका राणा के द्वारा सूचना के अधिकार के तहत उठाए सवाल के जबाव में दिए जबाव से हुआ है। हैरत का पहलू ये भी है कि प्रियंका राणा के द्वारा आवारा कुत्तों को लेकर साल 2016 में आरटीआई के माध्यम से सवाल किए थे। निगम का हेल्थ विभाग इस आरटीआई को रददी की टोकरी में डाले रहा। मामला राज्य सूचना आयोग पहुंच जाने और आयोग के द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बाद आनन-फानन में जवाब भेजा गया है।
आरटीआई के जवाब में बताया गया कि निगम ने नंदी पार्क में एक श्वान केंद्र की स्थापना की गई है। जिसका संचालन सुमिधा विनोद अय्यर द्वारा किया जाता है। इनके द्वारा ही अवारा कुत्तों को शहर के अलग-अलग क्षेत्रों से पकड़कर बीमार कुत्तों के इलाज के बाद उसी जगह पर छोड दिया जाता है। निगम द्वारा आवारा कुत्तों की गणना नहीं करायी गई है। वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा भी इस संस्था को सोसायटी के कुत्तों का ब्यौरा उपलब्ध नहीं है।
निगम द्वारा पीएफए (पीपुल फॉर एनिमल) को दो डॉग कैचर वैन मय चालक और ईंधन के साथ उपलब्ध कराए गए हैं। आवारा कुत्तों को वैक्सीन एवं स्टरलाईजेशन के कार्य पीपुल फॉर एनिमल एनजीओ के द्वारा किया जा रहा है। नगर निगम सीमांतर्गत अवारा कुत्तों के लिए वैक्सीन/स्टरलाईजेशन पीएफए द्वारा किया जा रहा है। वहीं इस मामले में पीएफए से बात किए जाने पर उन्होने बताया कि निःशुल्क रूप से कुत्तों का नसबंदी की जाती है। ऐसे में नसबंदी के नाम पर बड़ा खेल सामने आता है।