उन्होंने अपनी रैली में मौजूद मुसलमानों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं आप लोगों से गुजारिश करना चाहता हूं कि अगर आप इस देश में धर्मनिर्पेक्षता को जिंदा रखना चाहते हो तो आपको अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना होगा, लड़ना होगा। इसके लिए आप अपने लोगों को ही वोट दें। अगर मुस्लिम पॉलिटिकल पावर बनते हैं तो भारतीय लोकतंत्र और धर्मनिर्पेक्षता दोनों मजबूत होंगे। ओवैसी के पूरे भाषण में उनका फोकस मुस्लिम वोटर पर ही रहा। इस दौरान उन्होंने हापुड़ में 18 जून को हुई हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि एक मुसलमान जिसने गाय को नहीं मारा भी नहीं था, उसे पीट-पीटकर मार डाला गया। ये कहां की इंसानियत है।
अपने भाषण में ओवैसी ने कहा कि हापुड़ का रहने वाला कासिम जो बकरे का कारोबार करता था। उसे कथित रूप से गौकशी करने के आरोप में मार डाला गया। जबिक, सच्चाई ये है कि वह खेत में बैठकर किसी से बात कर रहा था, उसी वक्त उपद्रवियों की भीड़ आई और उसे पीटने लगी। उसे मार-मारकर अधमरा कर दिया गया इसके बाद उस पर ये आरोप लगाया गया कि उसने गाय को मारा है। मृतक कासिम पानी मांगता रहा, लेकिन किसी ने उसे पानी तक नहीं दिया। उसे जमीन पर घसीटा गया। पीएम मोदी ने भी इसे देखा, लेकिन उनकी जुबान नहीं खुली। उन्होंने कासिम के साथ एक जानवर से भी बजतर बर्ताव किया। मध्य प्रदेश से ओडिशा ले जाए जा रहे शेर को पहले बेहोश किया गया और स्ट्रेचर पर डालकर ले जाया गया, लेकिन यहां कासिम को पानी तक नहीं दिया गया और एम्बुलेंस तक जानवरों से भी बदतर तरीके से घसीटकर ले जाया गया और पुलिस वाले देखते रहे। एआईएमआईएम मुखिया ओवैसी ने कहा कि गंगा-जमुना की बातें अब केवल किताबों में ही रह गई हैं। यहां बैठकर आंसू बहाने से कोई मतलब नहीं है, उठो, जागो, सेकुलरिज्म की बात झूठी है। हापुड़ केस में केवल दो लोगों की ही गिरफ्तारी हुई। एक व्यक्ति की मौत हो गई और केवल दो ही गिरफ्तार हुए। ओवैसी ने मुसलमानों से अपील की कि वो जागे और अपने हक के लिए लड़ें।