पीआरओ मो.मुदस्सिर आलम ने बताया कि विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के अथक प्रयासों से ही यूएसबी को वैश्विक विज्ञान परियोजना’डीप अंडरग्राउंड न्यूट्रिनों एक्सपेरिमेंट (डियून)पर अध्ययन के लिए सहयोगी सदस्यीय बनने में सफलता मिली है।
बिहार की पहली शिक्षण संस्था
सीयूएसबी बिहार की वह पहली शिक्षण संस्था है जिसे इस परियोजना के लिए कोलैबोरेटर मेंबर(सहयोगी सदस्य) के रूप में चयनित किया गया। सीयूएसबी के भौतिकी विज्ञान अध्यक्ष प्रोफेसर वेंकटेश सिंह ने कहा कि उनकी टीम लंबे समय से इस करार के लिए प्रयासरत थी। अंततः हमें कामयाबी हासिल हुई। उन्होंने कहा कि इस परियोजना में हमें एस्ट्रोफिजिक्स, कॉस्मोलॉजी एवं पार्टिकल फिजिक्स को प्रभावित करने वाले मूलभूत कारकों की अधिक और अच्छी जानकारी मिलेगी। साथ ही हम ब्रम्हांड के अनेक अनछुए रहस्यों को भी जान सकेंगे।
वैश्विक पहचान बनेगी
सीयूएसबी के भौतिकी विज्ञान के प्राध्यापक डॉ लखविंदर सिंह ने कहा कि इससे सीयूएसबी के साथ साथ बिहार और भारत को भौतिकी एवं ब्रम्हांड विज्ञान के अध्ययन में सहभागिता को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस परियोजना में हमसभी एक अहम भूमिका निभाएंगे। इस शोध के विभिन्न आयामों का अध्ययन विश्वविद्यालय में किया जाएगा।
बता दें कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऐक्ट 2009 के तहत विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। इसके भवन की आधारशिला 2014 में तत्कालीन लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार ने फरवरी महीने में रखी थी। विश्वविद्यालय का भवन अब खूबसूरत तरीके से बनकर तैयार है और यहां नियमित अध्ययन चल रहा है।