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गरियाबंद

दर्द आदिवासी समाज का : बुनियादी सुविधाओं के अभाव में अपने ही मैनपुर राजापड़ाव में उपेक्षित आदिवासी, एक भी हायर सेकंडरी स्कूल नहीं

भूपेश बघेल सरकार वनवासियों को जल, जंगल, जमीन पर नैसर्गिक अधिकार मिले इस दिशा में प्रतिबंध है। जिसका विधिवत घोषणा 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस के दिन की गई थी, लेकिन इस पर पहल राजापड़ाव क्षेत्र में वन विभाग के द्वारा नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण आज भी समुदायिक वन संसाधन अधिकार ग्रामसभा को नहीं मिल पाया है।
 
 

गरियाबंदDec 05, 2022 / 01:43 pm

Shiv Singh

दर्द आदिवासी समाज का : बुनियादी सुविधाओं के अभाव में अपने ही मैनपुर राजापड़ाव में उपेक्षित आदिवासी, एक भी हायर सेकंडरी स्कूल नहीं

समस्याओं को लेकर चर्चा करते आदिवासी समाज के लोग

मैनपुर. गरियाबंद जिले के विकासखंड मुख्यालय मैनपुर राजापड़ाव क्षेत्र के 8 ग्राम पंचायत, 65 गांव, पारा -टोला वाला इलाका आदिवासी बाहुल्य होने के साथ ही सुदूर वनांचल में बसा हुआ है। जहां पर वर्षों से शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क, पुल-पुलिया का अभाव है। क्षेत्र के मुखियाओ ने कई बार बुनियादी सुविधाओं के लिए सैद्धांतिक आंदोलन, धरना-प्रदर्शन तक किया, लेकिन अमूमन कोई बदलाव नहीं दिखता। शासन-प्रशासन से आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला।
भूतबेड़ा क्षेत्र में हाईस्कूल की मांग अधर में
लगभग 15 गांव के केंद्र बिंदु ग्राम पंचायत भूतबेड़ा में हाईस्कूल नहीं होने के कारण यहां के आदिवासी बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पा रही है। आज भी गरीबा भूतबेड़ा कुचेंगा क्षेत्र के बच्चे हाईस्कूल में पढ़ाई करने 15 किलोमीटर दूर साइकिल से शोभा आते हैं। बीहड़ जंगल व नदी नाले होने के कारण छात्र जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने पहुंचते हैं।
पशुऔषालय भवन में वर्षों से ताला बंद
65 गांव के लिए क्षेत्र में एक पशु औषधालय भवन शोभा में तो है, लेकिन वर्षों से ताला बंद है। वहीं,बिजली लगाने के लिए क्षेत्र में सर्वे किया गया। जिसमें और भी गांव छूट रहे हैं। वहां भी विद्युतीकरण की जरूरत है। साथ ही उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व वन विभाग तौरेंगा परिक्षेत्र के द्वारा जंगलों में पौधारोपण, तालाब निर्माण, नर्सरी सहित विभिन्न कार्य करवाया गया है। लेकिन दो साल बीतने को है अभी तक के 8 से 10 लाख रुपए मजदूरों को मजदूरी नहीं दिया जाना गंभीर मामला है।
पुलिया निर्माण अधूरा
अडग़ड़ी, जरहीडीह, शोभा, कोकड़ी नाला पर अभी तक पुलिया निर्माण नहीं हुआ है। बरसात के दिनों में अंचलवासियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। घंटों नदी के बाढ़ को कम होने का इंतजार करते कई बार रात नाला के समीप बिताना पड़ता है।
हायर सेकंडरी स्कूल की मांग
इतने बड़े इलाके में एक भी हायर सेकंडरी स्कूल नहीं है। खास करके बालिकाओं को हाईस्कूल के बाद आगे की पढ़ाई बीच में छोडऩी पड़ जाती है या फिर कहीं बाहर जाकर पढ़ाई करने मजबूर है। गरीब आदिवासी परिवार चाह कर भी अपने बच्चों को आगे की पढ़ाई करवाने के लिए विवश और मजबूर हैं।
मजदूर किसान संघर्ष समिति
राजापडा़व क्षेत्र के बैनर तले लंबे संघर्ष करने के बाद आनन-फानन में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शोभा में तो खुल गया, लेकिन स्वयं के भवन व पर्याप्त सेटअप नहीं होने के कारण अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं है।

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