सुपेबेड़ा के मुरली मनोहर छेत्रपाल ने बताया, पुरैना कई वर्षों से रायपुर, ओडिशा व विशाखापट्टनम के सरकारी-निजी अस्पतालों में अपना इलाज करा चुके थे। रायपुर के डीकेएस सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल में पदस्थ गांव के त्रिलोचन सोनवानी ने उनको कई बार रायपुर आकर डायलिसिस कराने की सलाह दी थी, लेकिन पुरंदर सरकारी अस्पताल में आने को तैयार नहीं हुए। देवभोग के बीएमओ डॉ. सुनील ने बताया, एक सप्ताह पहले पुरंधर की जांच हुई थी। उनके खून में क्रिटिनिन की मात्रा सामान्य से 10 गुना ज्यादा था। वहीं रक्त की मात्रा केवल 5.2 ग्राम थी, जो सामान्य से एक तिहाई कम है।
बीएमओ ने बताया, पुरैना को आयरन सुक्रोज चढ़ाया गया था, उसके बाद उन्हें हायर सेंटर में रिफर किया गया था, लेकिन वे वहां न जाकर घर चले गए। पुरंधर की मौत के साथ ही गांव में किडनी की बीमारी से मरने वालों की संख्या 70 पहुंच गई है। ग्रामीणों के मुताबिक वास्तविक संख्या 100 से अधिक है। अभी भी 150 से अधिक लोग बीमार है, इनमें से 25-30 प्रतिशत के शरीर में क्रिटिनिन की मात्रा खतरनाक स्तर पर है।