धान बेचने में किसानों के छूट रहे पसीने, 47 दिन बाद भी नहीं हुआ बिके धान का भुगतान
गरियाबंद. छत्तीसगढ़ में नए सरकार आने के बाद किसानों को जितनी सहूलियत मिली है उतनी ही परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है। इस बार किसानों का ‘धान’ बेचने में पसीना छूट रहा है। समय पर न तो टोकन मिल रहा और न ही धान बिक रहा। और तो और बेचे गए धान का भुगतान भी समय पर नहीं मिल पा रहा है।
पाण्डुका सहकारी समिति के अंतर्गत आने वाले किसानों का परेशान होना कोई नई बात नही है। गड़बड़ी या हेराफेरी यहां के लिए आम बात है। ऐसा ही एक बार फिर ग्राम घटकरा पचपेड़ी के किसान पवन कुमार पिता इतवारी के साथ हो रहा है। किसान को पोंड खरीदी केंद्र में धान बेचे 47 दिन हो गए, पर आज तक भुगतान नही होने से किसान काफी परेशान और जब आपरेटरों से अपने पैसे के बारे में पूछने जाते हैं तो यहां के कर्मचारी किसानों को भ्रमित करते हैं। वे कहते हैं कि पैसा दिल्ली से आएगा तब मिलेगा। यह कहना किसान पवन कुमार का है। उसने बताया की 3 दिसंबर 2019 को पोंड खरीदी केंद्र में धान बेचा था, जिसका कुल भुगतान 94.380 रुपया का था। 52.555 समिति का कर्ज काटने के बाद 41.825 रुपए का भुगतान उसे मिलने है। लेकिन 47 दिन हो गए भुगतान मिलने के संबंध में कोई सही जानकारी नहीं दे रहा। ऑपरेटर और यहां के अधिकारी सही जानकारी नही देते। बस आराम से पैसा आएगा कहते हैं।
बीते शनिवार को पाण्डुका सहकारी बैंक के खरीदी केंद्र पोड़ और गरियाबंद के कई चक्कर काटे अंत मुझे ऑपरेटरों ने तो पैसा दिल्ली से आएगा तब मिलेगा बोल दिए। इस तरह इस बार धान बेचना किसानों को बहुत मंहगा पड़ गया। महिनों बाद भी जिले के कई खरीदी केंद्र में टोकन नही मिल रहा। वहीं सरकार के मंत्री भी जिले के दौरा कर चुके हैं। पर यहां व्यवस्था नही सुधार पा रही है। विभाग के अधिकारी जिला प्रशासन किसानों की हित की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं और नोडल अधिकारी भी नियुक्त किये है, पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। यहां के किसान इससे पहले इतना हलकान नही हुए थे।
वर्जन… एक दो दिन में उस किसान का भुगतान आ जायेगा। उसका खता देखा वह ठीक बता रहा है। पंजीयन के समय यह गड़बड़ी हुई रहती है, जिससे ऐसी परेशानी आती है। बीपी साहू, मैनेजर, जिला सहकारी बैंक