‘जिंदगी फिफ्टी-फिफ्टी’ में गीत से मिला ब्रेक 2013 के शुरुआत में दीपक ने ज़िन्दगी 50-50 फिल्म का टाइटल सांग लिखा। इस गीत को संगीत दिया विवेक कर ने और बप्पी लाहिरी ने अपने सुरों से सजाया। विवेक कर के संगीत निर्देशन में दीपक का यह पहला गीत था। दीपक ने एक दशक से कम समय में 9 फिल्मों के लिए गीत लिखे हैं। दिल का शुकुन शीर्षक से 2013 में गीतों का अलबम भी रिलीज़ हुआ है।
ऐसे सजे संगीत के सुर
निर्देशक कुणाल सिंह अपनी फिल्म “खेल तो अब शुरू होगा” के लिए एक नए संगीतकार की तलाश कर रहे थे,तभी एक दिन उनकी मुलाकात दीपक से हुई। उन्होंने दीपक से शीर्षक गीत की रचना करने की पेशकश की और इस तरह दीपक ने एक संगीतकार के रूप में भी अपनी पहचान बनानी शुरू की। यह फिल्म 2016 में रिलीज़ हुई।
इन फिल्मों के लिए लिखे गीत “एक कहानी जूली की” (2016), “जीना इसी का नाम है” (2017), “रक्तधार” (2017), जैसी फिल्मों में उन्होंने एक संगीतकार के रूप में काम किया। “ऊप्स अ देसी” (2013), “हम बड़े आशिक मिज़ाज” (2016), “खेल तो अब शुरू होगा”(2016) में दीपक ने गीत लिखे “जीना इसी का नाम है” का शीर्षक गाना काफी लोकप्रिय रहा और एक संवेदनशील संगीतकार के रूप में दीपक ने बॉलीवुड में अपनी पहचान बनायी। इस प्रेरणादायक रचना को लोगों ने खूब सराहा। 2018 में बनी फिल्म “तिश्नगी” का एक खूबसूरत सूफी गीत “सूफी सलाम” को दीपक ने अपने शब्दों से सजाया। इस गीत को मशहूर फनकार राहत फ़तेह अली खान साहब ने अपनी आवाज़ दी। इसी साल प्रदर्शित हुई फिल्म “जाने क्यों दे यारों” में एक गीत “बारी बारी” की रचना भी दीपक ने की।
संगीत निर्देशक दीपक अग्रवाल ने आने वाले समय में अपने फिल्मी करियर के लिए कुछ योजनाएं बनाई हैं। उन योजनाओं पर दीपक पूरी तरह से जुट चुके हैं। लव इन अ टैक्सी (2018),सीक्रेट ऑफ़ सेल्फी (2018) डार्क लाइफ (2019),सहित कुछ अन्य फिल्में बतौर संगीत निर्देशक उनकी झोली में आई हैं।