अगर आप सोच रहे हैं कि सरकार ने कई नियम बदला है तो आपको बता दें कि ऐसा नहीं लेकिन पुराने नियमों ( income tax act ) के तहत ही कोरोना काल मिलने वाली आपकी सैलेरी अब टैक्स के दायरे ( Taxable income ) में ज्यादा आती है।
दरअसल हमारी सैलेरी 2 हिस्सों में आती है। इसमें पार्ट-ए में बेसिक सैलरी ( Basic Salary ), डीए और एचआरए रहता है. वहीं, पार्टी-बी में ट्रांसपोट अलाउंस, इंटरटेनमेंट अलाउंस रहते हैं। दूसरे हिस्से के बिल्स भरकर कर्मचारी वो अमाउंट reimbursed हो जाता है। ये अलाउंसेस नॉन-टैक्सेबल इनकम ( Non Taxable Income ) में आते हैं। कई जगह ये रिम्बर्समेंट के तौर पर भी दिया जाता है। वहीं, कुछ कंपनियों में बिल लगाने की जरूरत भी नहीं होती है।
क्यों देना पड़ेगा टैक्स- दरअसल लॉकडाउन ( corona lockdown ) के दौरान जो पैसा ट्रांसपोर्ट, और अलाउंसेज के तौर पर मिलता था अब वो घर से काम करने और बाहर लंच या डिनर न करने की वजह से टैक्सेबल इनकम में तब्दील हो गए हैं। जिसका मतलब है कि अब आपको इन अलाउंसेस के नाम पर सैलरी आ रही सैलेरी पर भी टैक्स देना पड़ेगा जो कि पहले नहीं देना होता था।
इसी तरह से ट्रांसपोर्ट अलाउंस ( Transport Allowances ) पर भी एक सीमा तक टैक्स से छूट मिलती है, लेकिन अब इस अमाउंट पर भी टैक्स देना पड़ेगा वो भी आपके सैलेरी स्लैब के हिसाब से ।
इसके अलावा कंपनियां सैलेरी देने में देरी कर रही है जिसका मतलब है कि आपको ये सारे खर्च हो सकता है अपनी सेविंग्स से करने पड़े जिसकी वजह से कोरोना कर्मचारियों के फाइनेंशियल हेल्थ के लिए भी खतरनाक सिद्ध हो रहा है।