यह भी पढ़ेंः- भारत को झटका दे सकता है आईएमएफ, गीता गोपीनाथ ने जीडीपी ग्रोथ अनुमान घटाने के दिए संकेत
आज होने जा रही है अहम जीएसटी परिषद की बैठक
आज कमजोर जीडीपी आंकड़ों और आर्थिक मंदी के बीच जीएसटी परिषद की अहम बैठक होने जा रही है। इस बैठक में जिन वस्तुओं पर खत्म किए जीएसटी को दोबारा से लागू किया जा सकता है। साथ ही कुछ नए सेस और पुराने सेस की दरों में इजाफा भी किया जा सकता है। आखिर सवाल पैदा ही क्यों हुआ? वास्तव में देश की सरकार को जितना राजस्व मिलना चाहिए वो नहीं मिल रहा है। जिसकी वजह से देश को चलाना काफी मुश्किल हो रहा है। इसके बीच रेवेन्यू कम होने से राज्यों को क्षतिपूर्ति भुगतान करने में देरी भी हो रही है। ऐसे में आज जीएसएटी परिषद की मीटिंग में अध्यक्ष निर्मला सीतारमण सख्त कदम उठा सकती हैं।
यह भी पढ़ेंः- जीएसटी काउंसिल की बैठक से पहले शेयर बाजार हरे निशान पर, सेंसेक्स 41393 अंकों के पार
बंगाल ने किया है मीटिंग से पहले विरोध
वहीं निर्मला सीतारमण द्वारा मांगे गए सुझावों में वेस्ट बंगाल के एफएम का स्टेटमेंट आ गया है। यह स्टेटमेंट केंद्र सरकार और जीएसटी परिषद की अध्यक्ष निर्मला सीतारमण की नीतियों और उपायों का विरोण कर रहा है। राज्य सरकार के अनुसार देश की इकोनॉमी सुस्ती का सामना कर रही है। जिसका असर राज्यों पर भी दिखाई दे रहा है। इस सुस्ती से देश का कंज्यूमर और प्रोड्यूसर दोनों दबाव में हैं। ऐसे में टैक्स से बाहर की गई वस्तुओं को दोबारा जीएसटी के दायरे में लाना और सेस बढ़ाना ठीक नहीं है। वेस्ट बंगाल के एफएम मित्रा के अनुसार मौजूदा समय में मांग और कारोबार बढऩे के बिना मुद्रास्फीति में इजाफे की संभावना बनी हुई है। ऐसे समय में कर ढांचे में किसी भी तरह का बदलाव करना अथवा कोई नया सेस लगाना ठीक नहीं होगा। अमित मित्रा ने कहा कि मौजूदा संकट से उबरने के लिए सरकार नई दरें और नए कर बढ़ाने के अलावा उद्योगों को राहत पहुंचाने के तौर तरीके तलाशने चाहिए। ज्यादा राजस्व जुटाने के लिए सरकारी एजेंसियों को टैक्स चोरी और धोखाधड़ी रोकनी होगी। आपको बता दें कि राज्यों को केन्द्र सरकार ने कुल 35,298 करोड़ रुपए की राशि जारी की है।
यह भी पढ़ेंः- Petrol Diesel Price Today : 6 दिन की कटौती के बाद पेट्रोल के दाम स्थिर, डीजल में भी कोई बदलाव नहीं
लगातार बढ़ रही है महंगाई और घट रही है विकास दर
देश की मुद्रास्फीति में लगातार इजाफा हो रहा है। खाद्य उत्पादों के बढ़ते दाम की वजह से नवंबर महीने में खुदरा महंगाई दर तीन साल के उच्चतम स्तर 5.54 फीसदी पर पहुंच गई। वहीं थोक महंगाई दर अक्टूबर के मुकाबले तीन गुना ज्यादा इजाफे साथ चढ़ गर्ठ है। औद्योगिक उत्पादन की बात करें तो लगातार तीसरे माह घटता हुआ अक्टूबर में 3.8 फीसदी पर आ गया है। अगर बात देश की जीडीपी की करें तो दूसरी तिमाही की जीडीपी 6 साल के निचले स्तर पर आते हुए 4.5 फीसदी पर पहुंच गई। यह हालत यहीं नहीं रुकने वाले हैं। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी अनुमान को कम करते हुए 5 फीसदी पर पटक दिया है। वहीं आईएमएफ भी साफ संकेत दे चुका है कि अगले महीने की रिपोर्ट में वो भी भारत के जीडीपी अनुमान को कम करेंगे।