जिले में हर साल संभागीय, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं होती हैं। एसजीएफआई की सूची में वर्तमान में करीब 75 खेल हैं। इनमें शामिल खिलाडिय़ों को स्पोट्र्स वेयर की आवश्यकता होती है। इसमें टे्रकसूट, टी-शर्ट, निकर, शाट्स आदि शामिल हैं। इसी प्रकार सैकड़ों प्रकार की खेल सामग्री चाहिए होती है। आजकल लोगों के स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढऩे के कारण वे भी किसी खेल गतिविधि से जुड़े हैं। ऐसे में यह कारोबार अच्छी स्थिति में रहता है। एक अनुमान मुताबिक जिले में हर साल 200 से 250 करोड़ का खेल सामगी का व्यवसाय है। लेकिन इसमें जबलपुर का हिस्सा नाममात्र का है। ऐसे में खिलाडिय़ों को थोड़ी ज्यादा कीमत में इनका क्रय करना पड़ता है।
यह है स्थिति
– जिले में 50 से अधिक राज्य व जिला स्तरीय खेल संघ।
– चार सरकारी विश्वविद्यालय
-100 से अधिक निजी एवं सरकारी कॉलेज।
– चार हजार से अधिक सरकारी एवं निजी स्कूल।
– शैक्षणिक संस्थाओं एवं खेल संघों के 8 हजार से ज्यादा खिलाड़ी।
– 250 करोड़ से ज्यादा खेल सामग्री एवं किट का शहर में कारोबार।
– 15 बड़े एवं 200 से अधिक छोटे व मध्यम श्रेणी के खेल सामग्री विक्रेता।
– शहर में 500 से अधिक छोटी एवं बड़ी गारमेंट यूनिट।
कैरम बोर्ड और बल्ले
जहां खेल सामग्री की बात की जाए तो यहां पर कैरम बोर्ड का पुराना कारखाना है। कुछ जगहों पर लकड़ी के बल्ले बनते हैं। हालांकि वह उस गुणवत्ता के नहीं होते जिनका इस्तेमाल खेल अभ्यास एवं प्रतियोगिताओं में किया जा सके। इसी प्रकार ट्रॉफी एवं मोमेंटो भी असेम्बल होता है। इसमें इस्तेमाल होने वाली सामग्री भी व्यापारी बाहर से मंगाते हैं।
खेलों के लिए किट और सामग्री की आवश्यकता होती है। विभाग इनकी खरीदी करता है। इसी प्रकार कई खेल संघ एवं स्कूल कॉलेज भी इन्हें लेते हैं। स्थानीय स्तर पर इनका निर्माण होता है तो लागत कम होने से कीमत भी घटेगी।
एनके अग्रवाल, खेल सामग्री विक्रेता