इस खुलासे में सबसे हैरान करने वाली बात है कि बैंकिंग नियामक भारतीय रिजर्व बैंक ( आरबीआई ) को भी इस बात की जानकारी थी। यह खुलासा एक्टिविस्ट गिरीश मित्तल द्वारा दायर किये गये एक आरटीआई से पता चला है। 2012-13 से लेकर 2014-15 के बीच स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में दो चेयरमैन रहने चुके हैं। साल 2011-13 के बीच प्रतीप चौधरी और 2019-17 के बीच अरुंधती भट्टाचार्य एसबीआई की चेयरमैन रहीं।
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खुलासों की लंबी फेहरिस्त
आरबीआई द्वारा एसबीआई के सालाना जांच के बाद कई बड़े खुलासे निकलकर सामने आये हैं। इस जांच से पता चलता है कि एसबीआई ने कर्मचारी फ्राॅड, फंसे कर्ज, एंटी-मनी लाॅन्ड्रिंग नियम की धज्जियां तक के बारे में जानकारियां छिपाई हैं। अधिकतर भारतीय बैंक फंसे कर्ज को लेकर बढ़ी समस्याओं के बारे में जानकारियां देने से बचे हैं। इन बैंकों ने पुराने कर्ज को चुकाने के लिए नया कर्ज दिया था या फिर किसी एक वित्त वर्ष का नुकसान दूसरे वित्त वर्ष में ट्रांसफर कर दिया। एसबीआई के मामले में आरटीआई से पता चला है कि डायमंड और पावर सेक्टर को दिये गये कर्ज को लेकर यह समस्या सबसे अधिक रही है।
वित्त वर्ष | कितना अधिक बताया मुनाफा |
2012-13 | 1,220 करोड़ रुपये |
2013-14 | 5,028 करोड़ रुपये |
2014-15 | 3,252 करोड़ रुपये |
देश की करीब 30 फीसदी आबादी का SBI में खाता
डायमंड ट्रेडर्स को दिये गये लोन की वजह से कई बैंकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें पंजाब नेशनल बैंक ( पीएनबी ) से प्रमुख है जिसे पिछले साल ही हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी ने करीब 14 हजार करोड़ रुपये का झटका दिया था। इसके बावजूद भी एसबीआई ने लापरवाही दिखाई है। आरबीआई भी इस मामले की जानकारी रखने बाद कोई कार्रवाई नहीं किया है। एसबीआई में खाता रखने वाले करीब 43.5 कराेड़ लोगों को भी इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है, जोकि देश की कुल आबादी का करीब 30 फीसदी हिस्सा हैं।
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बैंक बोर्ड तक को नहीं जानकारी
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक ने केवाईसी को लेकर आरबीआई के नियमों का भी उल्लंघन किया है। कर्ज के मामले में भी बैंक ने ढीला रवैया अपनाया है। कई मामलों में बैंक ने लोन के लिए दिये गये सिक्योरिटीज को लेकर भी कोई कार्रवाई नहीं किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि डाटा छिपाने का काम हर स्तर पर हुआ। कई मामलों की जानकारी तो बैंक बोर्ड के पास भी नहीं है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का मालिकाना हक केंद्र सरकार के पास है। बीते कुछ समय में सभी पब्लिक सेक्टर बैंकों में बढ़ते कर्ज से उबारने के लिए सरकार ने नया फंडी जारी करने का ऐलान किया है। यूनियन बजट 2019 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकारी बैंकों के लिए 75,000 करोड़ रुपये जारी किया जायेगा।
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