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RTI में खुलासा, चोकसी समेत 50 Willful Defaulters के 68 हजार करोड़ रुपए के कर्ज माफ

RTI में RBI ने माना Willful Defaulters के 68,607 करोड़ रुपए के कर्ज किए माफ
राहत पाने वाले Willful Defaulters List में PNB Scam का आरोपी चोकसी भी शामिल

Apr 28, 2020 / 12:37 pm

Saurabh Sharma

Reserve Bank of India

RTI disclosed, debt waived of 68000 cr Rupee of 50 willful defaulters

नई दिल्ली। आरटीआई ( RTI ) के जरिए जो जानकारी सामने आई है वो बड़ी ही चौंकाने वाली है। भारतीय रिजर्व बैंक ( reserve bank of india ) ने देश के 50 विलफुल डिफॉल्टर्स ( Willful Defaulters ) के 68 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा माफ कर दिए हैं। खास बात तो ये है कि राहत पाने वाले इन विलफुल डिफॉल्टर्स की लिस्ट में पीएनबी स्कैम ( PNB Scam ) के मुख्य आरोपी मेहुल चोकसी ( Mehul Choksi ) का नाम भी शामिल है। आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले की ओर से डाली गई आरटीआई में 50 शीर्ष विलफुल डिफाल्टर्स के बारे में जानकारी मांगी गई थी कि 16 फरवरी तक उनके ऋण की मौजूदा स्थिति क्या है।

16 फरवरी को राहुल गांधी ने संसद में उठाया था सवाल
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गोखले ने बताया कि उन्होंने यह आरटीआई इसलिए दाखिल की थी कि क्योंकि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा पिछले बजट सत्र में संसद में 16 फरवरी, 2020 को पूछे गए इस तारांकित प्रश्न का जवाब देने से मना कर दिया था। गोखले ने कहा कि जिस तथ्य का खुलासा सरकार ने नहीं किया, उसका खुलासा करते हुए आरबीआई के केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी अभय कुमार ने शनिवार 24 अप्रैल को यह जवाब उपलब्ध कराया, जिसमें कई चकित करने वाले खुलासे शामिल हैं।

30 सितंबर 2019 को हुआ कर्ज माफ
आरबीआई ने आरटीआई के जवाब में कहा कि 68,607 करोड़ रुपए बकाया धनराशि शामिल हैं, और तकनीकी रूप से और विवेकपूर्ण तरीके से इस पूरी राशि को 30 सितंबर, 2019 तक माफ कर दिया गया है। गोखले के अनुसार शीर्ष बैंक ने सर्वोच्च न्यायालय के 16 दिसंबर, 2015 के एक फैसले का जिक्र करते हुए विदेशी उधारीकर्ताओं पर प्रासंगिक जानकारी मुहैया कराने से इंकार कर दिया।

मेहुल चोकसी का कर्ज माफ
50 शीर्ष विलफुल डिफाल्टर्स की इस सूची में चोकसी की भ्रष्टाचार में फंसी कंपनी गीतांजलि जेम्स लिमिटेड शीर्ष पर है, जिसके ऊपर 5,492 करोड़ रुपये की देनदारी है। इसके अतिरिक्त समूह की अन्य कंपनियां, गिली इंडिया लिमिटेड और नक्षत्र ब्रांड्स लिमिटेड हैं, जिन्होंने क्रमश: 1,447 करोड़ रुपये और 1,109 करोड़ रुपये ऋण लिए थे। चोकसी इस समय एंटीगुआ एंड बारबाडोस आईसलैंड का नागरिक है, जबकि उसका भतीजा और एक अन्य भगोड़ा हीरा कारोबाारी नीरव मोदी लंदन में है।

और भी कई नाम हैं शामिल
दूसरे स्थान पर आरईआई जिसने 4,314 करोड़ रुपये के कर्ज लिए थे। इसके निदेशक संदीप झुनझुनवाला और संजय झुनझुनवाला एक साल से अधिक समय से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के दायरे में हैं। भगोड़ा हीरा कारोबारी जतिन मेहता की विनसम डायमंड्स एंड ज्वेलरी का है, जिसने 4076 करोड़ रुपये कर्ज ले रखे हैं, और केंद्रीय जांच ब्यूरो विभिन्न बैंक धोखाधड़ी के लिए इसकी जांच कर रही है।

दो हजार करोड़ के कर्ज वाले कारोबारी
दो हजार करोड़ रुपए की श्रेणी में कानपुर स्थित रोटोमैक ग्लोबल प्रा.लि. है, जो प्रसिद्ध कोठारी समूह का हिस्सा है, और इसने 2,850 करोड़ रुपए कर्ज ले रखे हैं। वहीं कुदोस केमी, पंजाब 2,326 करोड़ रुपए, बाबा रामदेव और बालकृष्ण के समूह की कंपनी रुचि सोय इंडस्ट्रीज लिमिटेड, इंदौर 2,212 करोड़ रुपए और जूम डेवलपर्स प्रा.लि., ग्वालियर 2,012 करोड़ रुपए शामिल हैं।

एक हजार करोड़ कर्ज वाले कारोबरर
इस सूची में 18 कंपनियां एक हजार करोड़ रुपए कर्ज वाली श्रेणी में हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख नाम हरीश आर. मेहता की अहमदाबाद स्थित फॉरएवर प्रीसियस ज्वेलरी एंड डायमंड्स प्रा.लि. 1962 करोड़ रुपये, और भगोड़ा शराब कारोबारी विजय माल्या की बंद हो चुकी कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड 1,943 करोड़ रुपए शामिल हैं।

एक हजार करोड़ से कम कर्ज वाले कारोबारी
इसके अलावा 25 कंपनियां ऐसी हें, जनके ऊपर एक हजार करोड़ से कर्ज बकाया हैं। ये 605 करोड़ रुपए से लेकर 984 करोड़ रुपए तक के हैं। ये कर्ज या तो व्यक्तिगत तौर पर लिए गए हैं, या समूह की कंपनियों के रूप में। 50 शीर्ष विलफुल डिफाल्टर्स में से छह हीरा या सोने के ज्वेलरी उद्योग से संबंधित हैं।

कई कारोबारी कर रहे हैं मुकदमों का समाना
मीडिया रिपोर्ट में गोखले ने कहा कि इनमें से अधिकांश ने पिछले कुछ वर्षो के दौरान प्रमुख राष्ट्रीयकृत बैंकों को चूना लगाया है और उनमें से कई या तो फरार हैं य विभिन्न जांच एजेंसियों की कार्रवाई का सामना कर रहे हैं और कुछ मुकदमे का सामना कर रहे हैं। इस मामले में कोई भी उद्योग बचा नहीं है, क्योंकि ये 50 शीर्ष विलफुल डिफाल्टर्स आईटी, अवचंरचना, बिजली, स्वर्ण-डायमंड ज्वेलरी, फार्मा आदि सहित अर्थव्यवस्था के विविध सेक्टरों में फैले हुए हैं।

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