परिषद का सिंगल प्वाइंट एजेंडा
अधिकारी ने बताया कि परिषद का सिंगल प्वाइंट एजेंडा जीएसटी के मुआवजे पर विचार-विमर्श है। जीएसटी की दरों या उपकर की संरचना में किसी भी प्रकार का बदलाव का मसला भी इस बात से जुड़ा होगा कि राज्यों को किस प्रकार समय से मुआवजे का भुगतान हो।
जुलाई में होनी थी बैठक
कोरोना महामारी की रोकथाम को लेकर किए गए देशव्यापी लॉकडाउन और उससे देशभर में आर्थिक गतिविधियों के प्रभावित होने के चलते जीएसटी संग्रह में भारी कमी आई है। इसलिए केंद्र सरकार के पास एक विकल्प यह है कि वह अपनी उधारी का एक हिस्से का उपयोग राज्यों को जीएसटी मुआवजे के भुगतान के रूप में कर सकती है।
मार्च के बाद से भुगतान नहीं
मार्च के बाद राज्यों को मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया है। यहां तक कि मार्च के मुआवजे के भुगतान में भी विलंब हुआ और जुलाई के आखिर में ही भुगतान हो पाया। केंद्र सरकार ने इस मसले पर कानूनी राय भी मांगी थी जिसमें सुझाव दिया गया था कि केंद्र पर राज्यों को जीएसटी मुआवजे में कमी का भुगतान करने का कोई दायित्व नहीं है, बलिक जीएसटी परिषद पर्याप्त राशि की व्यवस्था करके वस्तु एवं सेवा कर मुआवजा कोष में कमी को पूरा करने का निर्णय ले सकती है।
यह हो सकती है सिफारिश
सूत्रों ने बताया कि न्यायविदों के सुझाव के अनुसार, जीएसटी परिषद केंद्र को मुआवजा कोष से राज्यों को उधारी लेने की अनुमति देने की सिफारिश कर सकती है। हालांकि संविधान के अनुच्छेद 293 (3) के तहत इस मामले में आखिरी फैसला केंद्र सरकार को लेना होगा।