उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्रालय ने बजट में राजकोषीय घाटे ( fiscal Deficit ) के लक्ष्य को GDP के 3.3 फीसदी पर निर्धारित किया है। मंत्रालय को उम्मीद है कि अंतरिम बजट के बाद भी 6,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राजस्व जुटाया जा सकता है।
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वित्त वर्ष 2020-21 तक राजकोषीय घाटा 3 फीसदी करना चाहती है सरकार
फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। साथ ही सरकार ने राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए भी प्लान बनाया है। सरकार का मानना है कि साल 2020-21 तक कुल खर्च और राजस्व के बीच का यह अंतर कुल जीडीपी का 3 फीसदी ही रह जायेगा। इसमें प्राइमरी घाटे को खत्म कर दिया जायेगा। राजकोषीय घाटे में से जब ब्याज पेमेंट को घटाने के बाद जो बचता है, उसे प्राइमरी घाटा कहा जाता है।
बजट से संबंधित अन्य मुद्दों पर भी होगी चर्चा
इस बैठक में वित्त मंत्री बोर्ड से बजट में किए गए अन्य सभी योजनाओं पर भी चर्चा करेंगी, ताकि साल 2024-25 तक भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डाॅलर की बन सके। बजट में अर्थव्यवस्था में निवेश और उधार को बढ़ावा देने के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों ( NBFC ) की हालत को देखते हुए विमानन, बीमा और मीडिया क्षेत्रों को विदेशी निवेश के लिए खोलने की घोषणा की गई। इसके साथ रिजर्व बैंक को हाउसिंग फाइनेंस फर्म्स का नियामक बना दिया गया है। इसके पहले यह जिम्मेदारी नेशनल हाउसिंग बैंक की थी।
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चालू वित्त वर्ष में आरबीआई से 90,000 करोड़ रुपये डिविडेंड चाहती है सरकार
चालू वित्त वर्ष में सरकार को आरबीआई से डिविडेंड के रूप में 90,000 रुपये मिलने की उम्मीद है, जोकि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 32 फीसदी अधिक होगा। पिछले वित्त वर्ष में आरबीआई ने सरकार को कुल 68,000 करोड़ रुपये का डिविडेंड दिया था, जिसमें 28,000 करोड़ रुपये का अंतरिम डिविडेंड भी था। वित्त वर्ष 2015-16 में आरबीआई ने सरकार को 65,896 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2017-18 में 40,659 करोड़ रुपये डिविडेंड के रूप में दिया था।
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