यह भी पढ़ेंः- पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर, जानिए आपको कितने चुकाने होंगे अपने शहर में दाम
वित्त मंत्रालय ने पिछले हफ्ते कॉपोर्रेट टैक्स में कटौती की घोषणा की थी। इस छूट से सरकारी खजाने पर सालाना 1.45 अरब रुपए का बोझ पड़ेगा। सरकार की व्यय योजनाओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं। सवाल किए जा रहे हैं कि क्या कम और धीमी कर वसूली के मद्देनजर राजकोषीय घाटे में किसी भी उछाल को नियंत्रित करने के लिए उन पर अंकुश लगाने की जरूरत है?
यह भी पढ़ेंः- कॉरपोरेट कर कटौती के बाद 3.5-3.6 फीसदी रह सकता है राजकोषीय घाटा
निर्मला ने अब तक किसी भी खर्च में कटौती से इनकार किया है। उनका कहना है कि वित्त मंत्रालय मांग और खपत को बढ़ावा देने के लिए धन के तुरंत निवारण की बात कह रहा है। कर में कटौती की घोषणा के बाद हालांकि बांड के मुनाफे में वृद्धि दर्ज की गई। वित्तमंत्री ने कहा कि 2019-20 की दूसरी छमाही के लिए उधार सीमा को संशोधित करने पर निर्णय लिया जाना अभी बाकी है। वित्त मंत्रालय 30 सितंबर को एच-2 के लिए उधार के फैसले की घोषणा करेगा। बजट का लक्ष्य 2.67 लाख करोड़ रुपये है।
यह भी पढ़ेंः- त्यौहारी सीजन से पहले दाल, सब्जी के बाद अनाज के दाम ने निकाला दम
किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं में व्यय की जरूरत है। इनमें 87,000 करोड़ रुपए की प्रधानमंत्री किसान योजना, पांच करोड़ किसानों के लिए 10 हजार करोड़ रुपये की पेंशन योजना, मनरेगा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन आदि शामिल हैं।