20 से 25 हजार करोड़
रिपोर्ट के अनुसार सरकारी बैंकों की मदद करने के लिए केंद्र सरकार को 20 से 25 हजार करोड़ रुपए देने पढ़ सकते हैं। वहीं बैंक अधिकारियों का कहना है कि अगर हालात और असामान्य होते हैं तो इस रकम को और भी बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है। बैंकों का कहना है कि इस संकट की घड़ी में बैंकों का एनपीए बढऩे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में सरकार को बैंकों की वित्तीय सहायता करनी ही होगी।
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पिछले साल भी की थी सरकार ने मदद
ऐसा नहीं है सरकार पहली बार सरकारी बैंकों की मदद का आश्वासन दिया है। इससे पहले भी सरकार बैैंकों की आर्थिक मदद कर चुका है। आंकड़ों के अनुसार बीते पांच सालों में सरकार बैंकों को 3.5 लाख करोड़ रुपए दे चुकी है। फरवरी में चालू वित्त वर्ष के लिए बजट में सरकार ने बैंकों कों पंजीकृत निवेश के बारे में कोई ऐलान नहीं किया था, लेकिन, बैंकों को कैपिटल मार्केट के ऑप्शन पर भी ध्यान देने को कहा गया था। एक रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा समय में बैंकों के क्रेडिट प्रोफाइल पर काफी दबाव देखने को मिल रहा है। जिसकी वजह से बैंकों को कैपिटल मार्केट से पूंजी जुटाने में काफी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
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बैंकों पर हैं 10.5 लाख करोड़ रुपए के एनपीए का बोझ
देश के बैंकों पर करीब 10.50 लाख करोड़ रुपए के एनपीए का बोझ है। जिसमें बड़ा शेयर सरकारी बैंकों का है। जिसकी वजह से बैंकिंग इंडस्ट्री के लिए लोन ग्रोथ में भी गिरावट देखने को मिली है। वहीं दूसरी ओर मूडीज और फिच ने भारतीय बैंकिंग सेक्टर रेटिंग को नेगेटिव कर दिया है। बैंकों का कहना है कि उधारकर्ताओं को चालू वित्त वर्ष की दूसरी और तीसरी तिमाही में ही पूंजी की जरूरत होगी।