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कारपेट, बिल्ड-अप और सुपर एरिया के नाम पर ठगी
मकान को खरीदते वक्त सबसे पहले प्रोजेक्ट का अप्रूव्ड लेआउट मैप जरूर देखना चाहिए। इससे देखकर योजना में कितने टावरों, कितनी मंजिलों और मकानों के निर्माण होगा, जिसकी मंजूरी मिली हुई है यह नहीं इसकी जानकारी हासिल होती है। सिर्फ ब्राशर पर यकीन करने से गलतफहमी के शिकार हो सकते हैं। अप्रूव्ड लेआउट से ही आपको मकान का वास्तविक एरिया पता चलता है और आप कारपेट, बिल्ड-अप और सुपर एरिया के नाम पर होने वाली ठगी से बच सकते हैं।
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मांगे ऑक्यूपेंसी और कंप्लीशन सर्टिफिकेट
कई बार देखा गया है कि बिल्डर अप्रूव मकानों से अधिक मकान या फ्लोर बना देते हैं और फिर लोगों को बेच देते हैं। ऐसी स्थिति में जरूरी है कि आप मकान खरीदने से पहले बिल्डर से कम्प्लीशन या ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट जरूर मांगे। हालांकि, शहरी और ग्रामीण निकायों के नियम-कानून अलग-अलग होते हैं, लेकिन ऑक्यूपेंसी और कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी करने जैसी व्यवस्था तकरीबन सभी जगह है। ये दोनों प्रमाण-पत्र बिल्डर को नगर निगम जैसे निकाय से मिलते हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इमारत का निर्माण सभी नियमों को पालन करते हुए अप्रुव नक्शे के आधार पर हुआ है और अब यह लोगों के रहने योग्य है।
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हिडेन चार्जेज के बारे में पता करें
बिल्डरों की ओर दिए जाने वाले लुभावने ऑफर की पूरी जांच पड़ताल करें। पता करें कि वह ऑफर मान्य भी है या नहीं। अगर मान्य है भी तो छुपे हुए चार्जेज के बारे में भी पता करें। कई बार बिल्डर हिडेन चार्जेज के बारे में नहीं बताते और बाद में उसका भी पैसा आपको ही चुकाना होता है। किसी अचल संपत्ति की वैधता के मामले में दो चीजें महत्वपूर्ण हैं। पहली, जिस जमीन पर इमारत बनी है या बनने वाली है, वह किसके नाम है। दूसरा, उस पर किया गया निर्माण नियमानुसार है अथवा नहीं। कई बार जमीन का मालिक कोई और होता है और उसे डवलप कर प्रॉपर्टी कोई और बेच रहा होता है। इसलिए लैंड टाइटिल का पता लगाना जरूरी है।
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तीन प्रकार की होती ब्याज दरें
फिक्स्ड रेट लोन: फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट पूरी लोन अवधि में समान रहती है और इसलिए आपकी ईएमआई राशि भी समान ही रहती है। फिक्स्ड रेट होम लोन के लिए आवेदन करना तब बेहतर होता है जब मौजूदा होम लोन की ब्याज दर काफी कम होती है और भविष्य में उनके बढ़ने की संभावना होती है। कई बार बैंक ग्राहकों को यह विकल्प भी प्रदान करते हैं कि वे एक निश्चित अवधि पूरी करने के बाद वेरिएबल/ फ्लोटिंग होम लोन ब्याज दरों में स्विच कर सकते हैं।
फ्लोटिंग रेट लोन: फ्लोटिंग ब्याज दर को वेरिएबल ब्याज दर के नाम से भी जाना जाता है। ये दरें मार्केट की मौजूदा दरों के मुताबिक घटती-बढ़ती हैं और इसलिए वे लोन अवधि के दौरान बदल सकती हैं। ब्याज दर बदलने पर होम लोन की ईएमआई भी बदल जाएगी।
हाइब्रिड लोन: हाइब्रिड रेट वाले होम लोन में फिक्स्ड रेट और फ्लोटिंग रेट दोनों शामिल होती हैं। शुरुआत में कुछ समय के लिए फिक्स्ड ब्याज दर लागू होगी, जिसके बाद यह ब्याज की फ्लोटिंग दर में बदल जाएगी। ऐसे होम लोन उन लोगों के लिए सबसे उपयुक्त हैं जिन्हें कम फिक्स्ड दर पर लोन मिला है और वे फ्लोटिंग रेट शुरू होने से पहले इसकी प्रीपेमेंट या फोरक्लोज कर सकते हैं।