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माँ त्रिपुर भैरवी के स्वरूप
शास्त्रों में माँ भैरवी के विभिन्न स्वरूप होते हैं जो इस प्रकार हैं- त्रिपुरा भैरवी, चैतन्य भैरवी, सिद्ध भैरवी, भुवनेश्वर भैरवी, संपदाप्रद भैरवी, कमलेश्वरी भैरवी, कौलेश्वर भैरवी, कामेश्वरी भैरवी, नित्याभैरवी, रुद्रभैरवी, भद्र भैरवी एवं षटकुटा भैरवी आदि। देवी भागवत के अनुसार महाकाली के उग्र और सौम्य दो रुपों में अनेक रुप धारण करने वाली दस महा-विद्याएं है। माँ का स्वरूप सृष्टि के निर्माण और संहार क्रम को जारी रखे हुए है। माँ त्रिपुर भैरवी तमोगुण एवं रजोगुण से परिपूर्ण हैं।
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माँ त्रिपुर भैरवी के अन्य तेरह स्वरुप हैं इनका हर रुप अपने आप अन्यतम है। माता के किसी भी स्वरुप की साधना साधक को सार्थक कर देती है। माँ त्रिपुर भैरवी कंठ में मुंड माला धारण किये हुए हैं। माँ ने अपने हाथों में माला धारण कर रखी है। माँ स्वयं साधनामय हैं उन्होंने अभय और वर मुद्रा धारण कर रखी है जो सदैव अपने भक्तों को सौभाग्य प्रदान करती है। माँ ने लाल वस्त्र धारण कियए है, माँ के हाथ में विद्या तत्व है। माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा में लाल रंग का उपयोग करने से माता अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाती है।
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माँ त्रिपुर भैरवी बीज मंत्र
माँ त्रिपुर भैरवी के बीज मंत्रों का जप करने से एक साथ अनेक संकटों से मुक्ति मिल जाती है। इन मंत्रों का जप करने वाला अत्यधिक धन का स्वामी बनकर जीवन में काम, सौभाग्य और शारीरिक सुख के साथ आरोग्य का अधिकारी बन जाता है। साथ ही मनोवांछित वर या कन्या को जीवनसाथी के रूप में प्राप्त करता है।
1- ।। ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा:।।
2- ।। ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः।।
3- ।। ॐ ह्रीं सर्वैश्वर्याकारिणी देव्यै नमो नम:।।
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