पं. विष्णु राजौरिया के अनुसार सूर्य का मकर राशि मेें प्रवेश 14 जनवरी की रात्रि 8 बजकर 41 मिनट पर होगा। इसलिए इसका विशेष पुण्यकाल 15 जनवरी को सूर्योदय से लेकर 12 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। पं. प्रहलाद पंड्या का कहना है कि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 की रात्रि में हुआ है, इसलिए इसका विशेष पुण्यकाल 15 को सूर्योदय से लेकर रहेगा।
भोपाल शहर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु तीर्थ स्थलों पर पवित्र स्नान करने पहुंचेंगे। मंदिरों और घरों में भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। भगवान को तिल गुड़ के व्यंजन, खिचड़ी का भोग लगाया जाएगा। शहर के गुफा मंदिर, बड़वाले महादेव मंदिर, बांके बिहारी मंदिर सहित अन्य मंदिरों में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जाएगा।
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लक्ष्मीनारायण बिड़ला मंदिर मकर संक्रांति पर्व के चलते 15 जनवरी को दिन भर खुला रहेगा। मंदिर के प्रबंधक केके पांडेय ने बताया कि संक्रांति पर्व पर मंदिर के पट सुबह 6 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक खुले रहेंगे। संक्रांति पर मंदिर में विशेष पूजा अर्चना होगी और भगवान को तिल के पकवान अर्पित किए जाएंगे। अगर 14 जनवरी को मंदिर में दर्शनार्थी ज्यादा आते हैं, तो 14 को भी मंदिर के पट दिन भर खुले रखे जाएंगे।
किस राशि के लिए कैसी होगी संक्रांति और क्या करें
: मेष- धन हानि, सावधानी रखें
: वृषभ- मांगलिक कार्य में व्यतता रहेगी
: मिथुन- कार्य सिद्धि से आत्म संतोष
: कर्क – आर्थिक लाभ के कार्यो में सफलता
: सिंह- विवाद से बचे
: कन्या- सांस्कृतिक, साहित्य में कार्य में अभिरूचि
: तुला- यश और सम्मान की प्राप्ति
: वृश्चिक- राजकीय क्षेत्र में प्रतिष्ठा बढ़ेगी
: धनु- अज्ञात भय रहेगा संयम रखें
: मकर- धार्मिक कार्यों को सम्पन्न करेंगे
: कुंभ- रुके हुए कार्य सम्पन्न होंगे
: मीन- कोर्ट कचहरी और अन्य क्षेत्र में विजय प्राप्तहोगी
इस दिन तिल, गुड़, खिचड़ी और कंबल का दान करना विशेष फलदायी माना गया है।
– पं. विष्णु राजौरिया
राजधानी के पटेल नगर स्थित दादाजी धाम मंदिर में शनिवार को मकर सक्रांति का पर्व छोटे रूप में मनाया जाएगा। मंदिर में शिवजी का रूदाअभिषेक पूजन, हवन, आरती की जाएगी। इस मौके पर ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं ट्रस्टी, भक्त सीमित संख्या में शामिल होंगे। समिति ने मंदिर में प्रवेश के लिए सभी को मास्क लगाना अनिवार्य किया है। बिना मास्क के मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना ही मकर संक्रांति कहलाता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है। इस दिन स्नान, दान, तप, जप और अनुष्ठान का अत्यधिक महत्व है। इसके साथ ही इस दिन तिल का उबटन लगाकर स्नान और तिल गुड़ के बने पकवान खाने का भी विशेष महत्व है। इस दिन तिल और गुड़ का सेवन इसलिए किया जाता है कि तिल में कार्बोहाइड्रेट,कैल्शियम तथा फॉस्फोरस पाया जाता है। इसमें विटामिन बी और सी भी काफी मात्रा में होता है।