यह अमावस्या सुख, संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए विशेष फलदायी है। जीवन में सुख और शांति के लिए फाल्गुन अमावस्या (Falgun Amavasya 2021) का व्रत रखा जाता है। इसके साथ ही इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व श्राद्ध भी किया जाता है। यदि अमावस्या सोम, मंगल, गुरु या शनिवार के दिन हो तो, यह सूर्यग्रहण से भी अधिक फल देने वाली होती है।
धार्मिक पुस्तकों में शनिश्चरी अमावस्या ( shanishchari amavasya ) का बड़ा ही महत्व है। इस दिन पितरों की पूजा के साथ ही शनिदेव की पूजा को विशेष माना गया है। कहते हैं इस दिन शनिदेव (LORD SHANI) की पूजा करने और उनके निमित्त उपाय करने से शनिदेव बहुत जल्दी खुश होते हैं। इस बार शनि अमावस्या 13 मार्च, शनिवार को है।
शनि अमावस्या ( shani amavasya ) का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि आरंभ- 12 मार्च,शुक्रवार 15:04:32 (दोपहर 3 बजकर 4 मिनट 32 सेकंड) से प्रारंभ
अमावस्या तिथि समाप्त- 13 मार्च, शनिवार 15:52:49 (दोपहर 3 बजकर 52 मिनट 49 सेकंड ) पर अमावस्या समाप्त
धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन अमावस्या (Falgun Amavasya) पर पवित्र नदियों में देवी-देवताओं का निवास होता है, अतः इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती में स्नान का विशेष महत्व है। यदि फाल्गुन अमावस्या (Falgun Amavasya) सोमवार के दिन हो तो, इस दिन महाकुम्भ स्नान का योग भी बनता है, जो अनंत फलदायी होता है।
शनिश्चरी अमावस्या ( shanishchari amavasya ) का महत्व…
शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्म के आधार पर फल देते हैं। शनिदेव ( Lord Shani ) , जिनके गुरु स्वयं भगवान शिव हैं, जब प्रसन्न होते हैं तो ढेर सारी खुशियां देते हैं, लेकिन जब कोई कुछ गलत करता है, तो वह शनि की दृष्टि से नहीं बच सकता।
शनिश्चरी अमावस्या ( shanishchari amavasya ) का दिन शनि से संबधित परेशानियों जैसे शनि की साढे-साती और ढैय्या से मुक्ति पाने के लिये बहुत ही अच्छा है। साथ ही इस दिन पितृ दोष आदि से भी छुटकारा पाया जा सकता है।
शनि अमावस्या ( shani amavasya ) में खास…
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार जन्मकुंडली में अशुभ शनि के प्रभाव से होने वाली परेशानियों से शनिश्चरी अमावस्या के दिन छुटकारा मिलता है। शनि देव ( Lord Shani ) न्याय के देवता हैं। जो कर्म के अनुसार फल प्रदान करते है। उचित कर्म पर आशीर्वाद प्रदान करते हैं, तो कुछ गलत करने पर दंड,कुल मिलाकर शनि की दृष्टि से कोई नहीं बच सकता। इस दिन मुख्य रूप से शनि की साढे-साती, ढैय्या और कालसर्प योग के अशुभ प्रभावों को काफी हद तक शांत किया जा सकता है।
ऐसे में इस बार 13 मार्च, शनिवार को शनिश्चरी अमावस्या ( shanishchari amavasya ) का दिन शनि से संबधित परेशानियों जैसे शनि की साढे-साती और ढैय्या से मुक्ति पाने के लिये बहुत ही अच्छा है। साथ ही इस दिन पितृ दोष आदि से भी छुटकारा पाया जा सकता है।
फाल्गुन अमावस्या: जानें व्रत और धार्मिक कर्म
धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन अमावस्या के दिन किये जाने वाला व्रत और धार्मिक कर्म तुरंत फलदायी होते हैं। हर अमावस्या पर पितरों के तर्पण का भी विशेष महत्व है। इस दिन किये जाने वाले धार्मिक कार्य इस प्रकार हैं-
-: इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें।
-: पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें।
-: अमावस्या के दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसो के तेल का दीपक लगाएं और अपने पितरों को स्मरण करें। पीपल की सात परिक्रमा लगाएं।
-: रुद्र, अग्नि और ब्राह्मणों का पूजन करके उन्हें उड़द, दही और पूरी आदि का नैवेद्य अर्पण करें और स्वयं भी उन्हीं पदार्थों का एक बार सेवन करें।
-: शिव मंदिर में जाकर गाय के कच्चे दूध, दही, शहद से शिवजी का अभिषेक करें और उन्हें काले तिल अर्पित करें।
-: अमावस्या शनिदेव का दिन भी माना जाता है। इसलिए इस दिन उनकी पूजा करना जरूरी है। अमावस्या के लिए शनि मंदिर में नीले पुष्ण अर्पित करें। काले तिल, काले साबुत उड़द, कड़वा तेल, काजल और काला कपड़ा अर्पित करें।
शनिश्चरी अमावस्या ( shanishchari amavasya ) के खास उपाय…
: शनिश्चरी अमावस्या ( shanishchari amavasya ) के दिन माता काली की अराधना अवश्य करें, देवी मां काली को शनि को संचालित करने वाली देवी माना जाता है, ऐसे में माता काली का पाठ आपको शनि के कई दुष्प्रभावों से बचाने में मदद करता है।
: शनि अमावस्या ( shani amavasya ) के दिन शाम के समय सात दीपक, काले तिल, सरसों का तेल, लोहे की कील रखकर पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं। इसके बाद ‘ऊं शं शनैश्चराय नम:’ मंत्र का जाप करें।
शनिदेव की कृपा प्राप्ति के लिए…
– शनि की कृपा पाने के लिए हमेशा अच्छे कर्म करें और गलत काम से परहेज करें।
– उड़द की दाल की खिचड़ी बनाकर शनि देव को भोग लगाएं।
– शनि के मंत्र ॐ शं शनिश्चराय नमः का जाप सूर्यास्त के बाद करें।
: शनि दोष के कारण आपके कार्यों में अड़चनें आ रही हैं, तो घर पर शमी, जिसे खेजड़ी भी कहते हैं, का पेड़ लाकर गमले में लगाइए और उसके चारों तरफ गमले में काले तिल डाल दीजिये और उसके आगे सरसों के तेलका दीपक जलाकर शनि देव के इस मंत्र का 11 बार जप करें।
मंत्र – ऊँ शं यो देवि रमिष्ट्य आपो भवन्तु पीतये, शं योरभि स्तवन्तु नः।।
: अगर आपकी कुंडली में शनि का दोष, साढ़े साती, या शनि ढैय्या है, तो शनिवार के दिन एक स्टील या लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भर पीपल के जड़ के नीचे रखकर अपनी चेहरा उसमें देखें और उसे पेड़ की जड़ के नीचे दबा दे। इससे आपका शनि ठीक हो जाएगा और आपको विशेष लाभ भी मिलेगा।
: जिस व्यक्ति के पितृ दोष लगा है वो आज पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाए और एक कास्य के पात्र में दूध, गंगा जल, काले तिल लेकर पीपल की सात परिक्रमा करते हुए ऊं ब्रह्म देवाय नम: का जाप करता रहा। परिक्रमा पूरी होने के बाद पीपड़ में एक जनेऊ चढ़ाएं।
शनि ( Lord Shani ) को प्रसन्न करने के लिए क्या दान करें-
– शनि को प्रसन्न करने के लिए काला वस्त्र, काले तिल, काली उड़द, लोहे के बर्तन, छतरी, जूते, सरसों का तेल, सरसों के तेल का बना भोजन जरूरतमंद लोगों को शाम के समय दान करें।
: अगर आप शनि की साढे-साती या ढैय्या की चाल से परेशान हैं, तो आपको शनि स्रोत का पाठ करना चाहिए। साथ ही सिद्ध किया हुआ शनि यंत्र धारण करना चाहिए। आज शनिश्चरी अमावस्या का दिन शनि यंत्र धारण करने के लिये बड़ा ही श्रेष्ठ है।
: इस दिन प्रसाद में काली या सफेद चीज चढ़ाएं और प्रार्थना करें कि हे ब्रह्म देव, हे शनिदेव, हे पितृ देव हमसें कोई भूल हो गई हो तो माफ करिएगा। हम पर प्रसन्न हो जाइए और हमें आर्शीवाद दीजिए। इसके बाद इस श्लोक का ध्यान करें।
शनि ग्रह की शांति के लिए…
कोणस्य: पिंगलों व्रभ्रु: कृष्णों रौद्रान्तकरे यम:।
सौरि: श्नेश्चरों मन्द पिप्पलादेल संस्तुत:।।
एताति दशं नाभानि प्रातरूक्थाय य पठोत्।
शनैश्चरे कृता पीडा न मदाचिद् भविष्यति।।
शनि को प्रसन्न करने के लिए…
– प्रतिदिन शनि की सूर्यास्त के बाद ही पूजा करें ।
– शाम को हनुमान जी और भैरव जी के दर्शन करें।
– पीपल के वृक्ष की के नीचे शनि के दस नामों का पाठ करें।
देश के कई इलाकों में इसे ‘दर्श अमावस्या’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह अमावस्या शनिवार को पड़ रही है। धार्मिक मान्यता है कि शनिश्चरी अमावस्या के दिन पूरी रात चांद दिखाई नहीं देता है और इस विशेष दिन सुख-समृद्धि और परिवार के कल्याण की कामना की जाती है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि शनिश्चरी अमावस्या पर पूर्वजों की भी पूजा जानी चाहिए। पूर्वजों की आराधना के लिए ये दिन बेहद खास होता है।
इस बार अमावस्या की पूजा शनिवार के दिन की जाएगी। शनिवार का दिन होने के कारण इस अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या ( shanishchari amavasya ) भी कहा जाता है। माना जाता है कि फाल्गुन अमावस्या को की जाने वाली पूजा से जीवन में सुख और शांति प्राप्त होती है। इस अमावस्या पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म भी किया जाता है। इस दिन स्नान और दान का भी विशेष फल बताया गया है।
ज्योतिष के अनुसार शनि देव का रंग काला हैं और अमावस्या की रात भी काली होती है इसलिए शनि को यह बेहद प्रिय है। हमारे सभी अच्छे या बुरे कर्मों पर शनि का नियंत्रण होने से उनकी महत्वता बढ़ जाती है। माना जाता है कि शनि यदि कुंडली मे तुला राशि या उत्तम भाव में हैं, तो इंसान को बहुत कम समय मे बड़ी सफलता मिलती है। ऐसे वयक्ति को कम उम्र में ही मान सम्मान के साथ-साथ धन की प्राप्ति होती है तथा व्यक्ति हमेशा सही रास्ते पर रहता है।
शनिश्चरी अमावस्या : पितरों को ऐसे प्रसन्न करें…
– शनिश्चरी अमावस्या के दिन स्नान करके साफ वस्त्र पहनें।
– घर की दक्षिण दिशा में मुंह कर के पितरों से अपनी गलती के लिए क्षमा मांगे और यह भोजन किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को दान करें।
– गाय को हरा चारा अवश्य खिलाएं और पीपल के नीचे पितरों के नाम से भोजन रखें।
– घर के रसोई घर को साफ कर के शुद्ध भोजन के साथ खीर अवश्य बनाएं।
– पितरों के नाम से शाम तक दवाई, वस्त्र, भोजन का दान करें।
माना जाता है कि ऐसा करने से पारिवारिक कलह क्लेश तथा व्यापार से सम्बंधित समस्याएं खत्म हो जाती हैं।