वैसे तो संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजन हर महीने में होता है लेकिन सबसे मुख्य संकष्टी चतुर्थी फाल्गुन मास के कष्ण पक्ष बताई गई है। संकष्टी चतुर्थी अगर बुधवार के दिन पड़ती है तो वह बहुत ही शुभ मानी जाती है। पश्चिमी और दक्षिणी भारत में और विशेष रूप से महाराष्ट्र और तमिलनाडु में संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखकर भगवान श्रीगणेश की विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
ऐसे करें संकष्टी चतुर्थी पर श्रीगणेश पूजन
1- संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर गंगाजल मिले जल से स्नान करना चाहिए।
2- उत्तर दिशा की ओर मुंह करके भगवान श्रीगणेश की पूजा कर उन्हें शुद्धजल अर्पित करना चाहिए।
3- इस दिन व्रत रखने से विशेष कृपा करते हैं गणेशजी।
4- भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए।
5- जप और पूजन करने के बाद जल में तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।
6- इस दिन शाम के समय भी विधिवत् गणेश जी की पूजन करना चाहिए।
7- इस दिन गणेश जी को दुर्वा भी अर्पित करना चाहिए, ऐसा करने से व्यक्ति के धन-सम्मान में वृद्धि होती है।
8- इस दिन गणेश जी को तुलसी भूलकर भी नहीं चढ़ाना चाहिए।
9- संकष्टी चतुर्थी के दिन तिल के लड्डुओं का भोग लगाने से भगवान गणेश जी प्रसन्न हो जाते हैं।
10- संकष्टी चतुर्थी के दिन शाम को चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।
11- इस दिन उपवास रखने वाले लोग कंद-मूल जैसे- मूली, प्याज, गाजर और चुकंदर का सेवन भूलकर भी नहीं करें।
12- संकष्टी चतुर्थी का उपवास तिल के लड्डू या तिल खाकर खोलना चाहिए।
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