गुरुवार के दिन सर्वार्थसिद्धि योग के साथ गुरु पुष्य नक्षत्र में रामनवमी महापर्व पड़ने से बहुत ही शुभ संयोग स्वतः ही बन जाता है। इस दिन पूरे देश में बहुत ही धुम धाम से यह पर्व राम जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन आप भी अगर आपके घर में कोई छोटा बालक हो जिसकी आयु 6 माह से लेकर 1 साल तक की हो तो ऐसे मनाएं राम जन्म उत्सव। रामनवमी के दिन सुबह छोटे बच्चे गंगाजल मिले जल से स्नान कराकर राम जी की तरह अच्छे से तैयार कर लें। संभव हो तो वस्त्र रेशमी पितांबरी ही पहनावें। एक पालना या झूले को फूलों से सजाकर पहले ही तैयार कर लें। आटे के 11, 21 या 108 दीपक घी या तेल डालकर तैयार कर लें।
अब सबसे पहले सभी दीपकों को श्रीराम नाम का उच्चारण करते हुये जलावें। दीपक जलाने के बाद ठीक 12 बजे राम रूपी बालक को झूले में डालकर वैदिक पद्दति से राम जी का विधिवत जन्मोत्व मनावें। बच्चें को चंदन या अष्टगंध का तिलक अनामिका अंगुली से लगाते हुये प्रार्थना करें की यह बालक बड़ा होकर भगवान श्रीराम की तरह आज्ञाकारी, गुणवान एवं संस्कारी बनें। फूलों की माला पहनावें और आरती करें।
सर्वार्थसिद्धि योग के साथ गुरु पुष्य नक्षत्र में पूजन करने के बाद सभी लोग श्रीराम जन्म स्तुति, रामरक्षास्त्रोत, राम मंत्र, हनुमान चालीसा आदि का पाठ करें। अब जो दीपक जलाये थे उनमें से 5 दीपकों को एक थाली में लेकर- एक दीपक उस स्थान पर रखें जहां राम रूपी बाल सोता हो, दूसरा दीपक घर के पूजा घर में रखें, तीसरा दीपक तिजोरी के सामने, चौथा बाहर तुलसी में एवं पांचवां दीपक घर की छत पर रखे दें। इस उपाय को करने उक्त बालक भविष्य में बड़ा होकर समाज में सबसे प्रेम का पात्र बनेगा, एवं आपके घर में सुख-समृद्ध का वातावरण बनने लगेगा।
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