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ऐसे करें माँ त्रिपुरा का पूजन
सबसे पहले इस मंत्र के साथ गुरु तत्व का आवाहन पूजन करें-
ऊँ श्री गुरुवे, ओमकार आदिनाथ ज्योति स्वरूप, उदयनाथ पार्वती धरती स्वरूप। सत्यनाथ ब्रहमाजी जल स्वरूप। सन्तोषनाथ विष्णुजी खडगखाण्डा तेज स्वरूप, अचल अचम्भेनाथ शेष वायु स्वरूप। गजबलि गजकंथडानाथ गणेषजी गज हसित स्वरूप। ज्ञानपारखी सिद्ध चौरंगीनाथ चन्द्रमा अठारह हजार वनस्पति स्वरूप, मायास्वरूपी रूपी दादा मत्स्येन्द्रनाथ माया मत्स्यस्वरूपी। घटे पिण्डे नवनिरन्तरे रक्षा करन्ते श्री शम्भुजति गुरु गोरक्षनाथ बाल स्वरूप, नवनाथ स्वरूप मंत्र सम्पूर्ण भया, अनन्त कोटि नाथजी गुरुजी को आदेष! आदेष!!
इस मंत्र से माँ त्रिपुर सुंदरी का ध्यान करें-
बालार्कायुंत तेजसं त्रिनयना रक्ताम्ब रोल्लासिनों।
नानालंक ति राजमानवपुशं बोलडुराट शेखराम्।।
हस्तैरिक्षुधनु: सृणिं सुमशरं पाशं मुदा विभृती।
श्रीचक्र स्थित सुंदरीं त्रिजगता माधारभूता स्मरेत्।।
इस मंत्र से माँ त्रिपुर सुंदरी का आवाहन करें, आवाहन के लिए माँ त्रिपुर सुंदरी के प्रतिक रूप में एक सुपारी प्रतिष्ठित करें। इसे तिलक करें और धूप-दीप आदि पूजन सामग्रियों के साथ पंचोपचार विधि से पूजन पूर्ण करें।
ऊं त्रिपुर सुंदरी पार्वती देवी मम गृहे आगच्छ आवहयामि स्थापयामि।
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उपरोक्त विधि से पूजन आवाहन करने के बाद कमल गट्टे की माला से इस मंत्र का जप एक हजार बार करें।
त्रिपुर सुंदरी बीज मंत्र
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मंत्र जप पूरा होने के बाद अपने हाथ में चावल, फूल लेकर देवी भगवती माँ त्रिपुर सुंदरी से क्षमा याचना करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करते हुए माता का विसर्जन करें। इस प्रकार की विधिवत पूजा, जप से माँ त्रिपुर सुंदरी प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूरी कर देती है।
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि त्रिपुर सुंदरी।
पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।।
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