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महादेव और पार्वती के बीच का संवाद
शिव-पार्वती का वैवाहिक जीवन सच्चे प्रेम का प्रतीक माना जाता है। उनके रिश्ते में प्यार, सम्मान और समर्पण का भाव देखने को मिलता है, यह सुखी दांपत्य जीवन के लिए भी अनिवार्य बताया गया है। एक बार प्रेम के संदर्भ में माता पार्वती अपने पति और गुरु महादेव से पूछती हैं कि ‘प्रेम क्या है? प्रेम का रहस्य क्या है? महादेव इसका भविष्य क्या है? भोलेनाथ ने मुस्कुराते हुए माता से कहा कि पार्वती आपके सवालों में ही इनका जवाब छिपा है।’
शिव जी ने ऐसे बताई प्रेम की परिभाषा
शिव जी ने कहा कि पार्वती आपने ही प्रेम के कई रूपों को उजागर किया है। ‘सती के रूप में जब पार्वती आपने मेरे सम्मान के खातिर अपने प्राण त्याग दिए थे, तो मेरा संसार, जीवन, दायित्व सब निराधार हो गया था। तुम्हारे बिना मेरे अधूरेपन की अति से इस संसार का अधूरा हो जाना ही असली प्रेम है। महादेव ने कहा कि अपने अगले जन्म में पार्वती के रूप में मुझे मेरे वैराग्य से बाहर निकलने पर विवश करना ही प्रेम है।’
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इस परिभाषा से सीखें सफल लाइफ के टिप्स
प्रेम पर शिव जी का ये पाठ लोगों के लिए सीख है कि पति-पत्नी के संबंधों में प्रेम, समर्पण और सम्मान सुखी वैवाहिक जीवन का आधार होता है। पुराणों में भी इस बात का वर्णन है कि माता पार्वती ने शिव के सम्मान के लिए सबकुछ न्यौछावर कर दिया था। यहां तक कि उन्होंने अपने प्राण भी त्याग दिए थे। वैवाहिक जीवन हो या फिर प्रेम संबंध जीवनसाथी का एक दूसरे के प्रति सम्मान उनके रिश्तों को मजबूती देता है।
एक-दूसरे को समझना बेहद जरूरी
भगवान शिव और माता पार्वती के लिए कहा जाता है कि वे जन्म-जन्मांतर के साथी थे। वह हमेशा ही एक-दूसरे को जानने और समझने का निरंतर प्रयास करते थे। प्रेमी जोड़ों के लिए भी ऐसा करना बेहद जरूरी है। क्योंकि इससे रिश्तों में दूरी खत्म होती है। इसलिए हर कपल में झगड़ा, विवाद होना आम बात है लेकिन इसे बढ़ावा न देकर सुलझाने का प्रयास करना ही बेहतर है।