अगहन मास में इस तिथि को हुआ था भगवान राम और सीता जी का विवाह
शास्त्रों के अनुसार, भगवान शंकर के ही अंश अवतार है, बाबा काल भैरव, और अगर काल भैरव जयंती मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को (जिसे काला अष्टमी भी कहते हैं), के दिन बाबा काल भैरव की विधिवत पूजा अर्चना करने से अनेक कष्टों का निवारण एवं अनंत पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
काल भैरव पूजा विधि
काल भैरव जयंती के दिन भैरव बाबा को पांच नींबू चढ़ाने से व्यक्ति को समस्त परेशानियों से मुक्ति मिलने लगती है। पूजा में अक्षत, चंदन, काले तिल, काली उड़द, काले कपड़े काले धतुरे के फूल से विधिवत पूजन करें। अगर संभव हो तो नीले फूलों की माला भी अर्पित करें। पूजन करने के बाद गरीबों को दान अवश्य करें।
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पूजन के बाद सर्व मनोकामना पूर्ति के लिए बाबा कालभैरव के इन अष्टनाम का 108 बार जप करें।
1- असितांग भैरव,
2- चंड भैरव,
3- रूरू भैरव,
4- क्रोध भैरव,
5- उन्मत्त भैरव,
6- कपाल भैरव,
7- भीषण भैरव
8- संहार भैरव
इन मंत्रों के जप से भीषण से भीषण कष्टों से मिलेगी मुक्ति
श्री कालभैरव भगवान महादेव का अत्यंत ही रौद्र, भयाक्रांत, वीभत्स, विकराल प्रचंड स्वरूप है। श्री काल भैरव जयंती के दिन किसी भी शिव मंदिर में जाकर काल भैरव जी के इन मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र का जप करने से भीषण से भीषण कष्टों का नाश होने के साथ मरनासन्न व्यक्ति को भैरव बाबा की कृपा से जीवन दान मिल जाता है।
काल भैरव सिद्ध मंत्र
1- ॐ कालभैरवाय नम:।
2- ॐ भयहरणं च भैरव:।
3- ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्।
4- ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।
5- ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:।
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