बाद में वे लोग यहां ग्वालियर के शिवाजी मार्ग बाजार के पास आ गए तो परंपरा भी साथ लाए। वे यहां 117 साल से इस परंपरा को निभा रहे हैं। इसके लिए होली से एक हफ्ते पहले रामलीला मंचन की शुरुआत कर देते हैं। बाजार में आरक्षित जगह पर ये होली पर रामलीला मंचन करते हैं।
खास बात है यहां की रामलीला में कोई बाहरी कलाकार शामिल नहीं होता। रामलीला के सभी पात्र परंपरागत रूप से समिति से जुड़े लोग ही पीढ़ी दर पीढ़ी बन रहे हैं। यहां की रामलीला देखने और शामिल होने के साथ मन्नत मांगने के लिए दूर दराज से इस समुदाय के लोग यहां पहुंचते हैं। इस दौरान यहां खूब रंग गुलाल उड़ता है।
मान्यता है कि इस रामलीला में अभिनय करने वालों की मन्नत पूरी होती है। इस रामलीला में अभिनय करने वाले मोहनलाल अरोरा कहते हैं कि मैं पिछले 34 वर्ष से इससे जुड़ा हूं और मंच सज्जा सहित पहले दिन रावण, परशुराम, भरत, बाली आदि के रोल निभाता हूं।
ये भी पढ़ेंः Famous Holi Place: रंगों से प्यार है और अनोखी परंपराएं लुभाती है तो ये 10 जगहें होली पर हो सकती हैं आपकी डेस्टिनेशन यूपी के बरेली में ब्रिटिशकाल से ही होली के अवसर पर राम बारात निकाली जा रही है। इससे पहले रामलीला का मंचन होता है, इस परंपरा को यहां 163 साल से अधिक हो गए हैं। हजारों लोग राम बारात में शामिल होते हैं और हुरियार रंग की बौछार करते हैं।
इस राम बारात का स्वागत भी करते हैं। होली पर इस राम बारात को देखने के लिए विदेशों से भी लोग यहां आते हैं। इस राम बारात को निकाले जाने से पहले रामलीला का मंचन होता है। दुनिया भर में प्रसिद्ध इस रामलीला को 2008 में यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट (unesco world heritage site) में भी शामिल कर लिया था। 2015 में बरेली की होली वाली रामलीला को विश्व धरोहर भी घोषित किया गया है।