पंडित सुनील शर्मा के अनुसार चैत्र और अश्विन माह की नवरात्रि सर्व साधारण व्यक्तियों के लिए होती है जिसमें सात्विक या दक्षिणमार्गी साधना की जाती है, जबकि माघ और आषाढ माह की गुप्त नवरात्रि में तंत्र अर्थात वाममार्गी साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि साधना और तंत्र साधना के लिए महत्वपूर्ण होती है, ऐसे में इन गुप्त नवरात्रियों में दस महाविद्याओं की पूजा और साधना का महत्व है।
माघ मास के बाद आषाढ़ में भी गुप्त नवरात्रि का पर्व प्रमुख रूप से मनाया जाता है। गुप्त नवरात्रि का महत्व विशेष तौर पर गुप्त सिद्धियां पाने का सबसे उत्तम समय माना गया है।
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इस बार यानि वर्ष 2020 में गुप्त नवरात्रि का पावन पर्व आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में 22 जून से शुरू हो चुका है, जो कि 29 जून 2020 तक जारी रहेगा। इस नवरात्रि में विशेष साधना के द्वारा चमत्कारिक शक्तियां प्राप्त की जाती हैं। इन दिनों शिव व शक्ति दोनों की उपासना की जाती है।
गुप्त नवरात्रि में ये देवियां साधक को खुशहाली, सुख-सौभाग्य और लंबी उम्र का वरदान देती हैं। प्राचीन धर्मग्रंथों के अनुसार गुप्त नवरात्रि में प्रमुख रूप से भगवान शिव तथा देवी शक्ति की आराधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में मां शक्ति के स्वरूप की पूजा करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति तथा साधक की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
गुप्त नवरात्रि के दौरान तंत्र साधना के लिए कई साधक माता दुर्गा के इन 10 देवियों की उपासना करते हैं। इन दिनों मां दुर्गा के निम्न स्वरूपों की आराधना करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।
गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवियां :-
1. मां काली,
2. तारा देवी,
3. त्रिपुर सुंदरी,
4. भुवनेश्वरी,
5. माता छिन्नमस्ता,
6. त्रिपुर भैरवी,
7. मां ध्रूमावती,
8. माता बगलामुखी,
9. माता मातंगी,
10. कमला देवी।
सभी नवरात्रियों में से तंत्र, मंत्र और यंत्र सिद्धि के लिए गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है। पंडित शर्मा के अनुसार गुप्त नवरात्रि के 12 राशियों के विशेष विलक्षण मंत्र हैं-
12 राशियों के अनुसार कौन सा मंत्र किस राशि के लिए शुभ है…
1. मेष- ॐ ह्रीं उमा देव्यै नम:।
2. वृषभ- ॐ क्रां क्रीं क्रूं कालिका देव्यै नम:।
3. मिथुन- ॐ दुं दुर्गायै नम:।
4. कर्क- ॐ ललिता देव्यै नम:।
5. सिंह- ॐ ऐं महासरस्वती देव्यै नम:।
6. कन्या- ॐ शूल धारिणी देव्यै नम:।
7. तुला- ॐ ह्रीं महालक्ष्म्यै नम:।
8. वृश्चिक- ॐ शक्तिरूपायै नम: या ॐ क्लीं कामाख्यै नम:।
9. धनु- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
10. मकर- ॐ पां पार्वती देव्यै नम:।
11. कुंभ- ॐ पां पार्वती देव्यै नम:।
12. मीन- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं दुर्गा देव्यै नम:।
साधना का काल : देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है।
गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।
गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवियां : वैसे तो इन नवरात्रि में भी उन्हीं नौ माताओं की पूजा और आराधना होती है, लेकिन यदि कोई अघोर साधान करना चाहे तो दस महाविद्या में से किसी एक की साधना करता है जो गुप्त नावरात्रि में सफल होती है।
तंत्र साधना : गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।
उस समय पृथ्वी पर रुद्र, वरुण, यम आदि का प्रकोप बढ़ने लगता है इन विपत्तियों से बचाव के लिए गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना की जाती है।
हिन्दू धर्म में नवरात्रि का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, चाहे वो गुप्त नवरात्रि हो या फिर चैत्र या शारदीय नवरात्रि। इन दिनों मां दुर्गा की उपासना के महत्वपूर्ण दिन माने जाते हैं। इन दिनों तंत्र साधना, तंत्र विद्या सीखने के इच्छुक साधक मां भगवती की विशेष पूजा-अर्चना करके उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।