माना जाता है कि हिन्दू कैलेंडर के श्रावण महीने में भगवान शिव के दिन सोमवार के व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है। जानकारों का मानना है कि सावन के महीने में शिव भक्तों को प्रत्येक सोमवार को केवल रात में ही भोजन करना चाहिए और पूरा दिन शिव जी की उपासना में बिताना चाहिए।
सामान्यत: सावन सोमवार व्रत की विधि भी अन्य सोमवार व्रत की तरह ही होती है, लेकिन भगवान शिव का प्रिय माह होने के कारण इस दौरान वे बहुत जल्द और आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसे में इस बार सावन का पहला सोमवार 26 जुलाई को है।
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सावन सोमवार व्रत 2021
इस साल 24 जुलाई 2021 को सुबह 08:06 AM तक पूर्णिमा रहने के बाद प्रतिपदा लग जाएगी। ऐसे में जहां कुछ जानकारों का मानना है कि सावन 24 जुलाई से ही शुरु हो जाएगा। वहीं कुछ जानकारों के अनुसार इस बार सावन 25 जुलाई से शुरु होगा। वहीं सावन माह का समापन श्रावणी पूर्णिमा के दिन यानि 22 अगस्त को होगा।
सावन 2021 में रहेंगे चार सोमवार…
पहला सावन सोमवार व्रत- 26 जुलाई 2021
दूसरा सावन सोमवार व्रत- 2 अगस्त 2021
तीसरा सावन सोमवार व्रत- 9 अगस्त 2021
चौथा सावन सोमवार व्रत-16 अगस्त 2021
सावन सोमवार व्रत विधि
यूं तो सावन सोमवार के व्रत की कई जगहों पर कई तरह से व्याख्या की गई है, लेकिन स्कंदपुराण के अनुसार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन सोमवार के दिन एक समय भोजन करने का प्रण लेना चाहिए। इस दिन भगवान शंकर के साथ पार्वती जी की भी पुष्प, धूप, दीप और जल से पूजा करनी चाहिए।
सावन में रात्रि के समय जमीन पर सोना चाहिए। इस तरह से सावन के प्रथम सोमवार से शुरु करके कुल नौ या सोलह सोमवार इस व्रत का पालन करना चाहिए। नौवें या सोलहवें सोमवार को व्रत का उद्यापन करना चाहिए। अगर नौ या सोलह सोमवार व्रत करना संभव ना हों, तो केवल सावन के चार सोमवार भी व्रत किए जा सकते हैं।
पंडित केबी शक्टा के अनुसार सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है। शिव पूजा के बाद सोमवार व्रत की कथा सुननी आवश्यक है।
सावन सोमवार के दिन क्या करें…
1. सावन सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जाग जाना चाहिए।
2. इसके बाद पूरे घर की सफाई कर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।
3. पूरे घर में गंगा जल या पवित्र जल छिड़कें।
4. घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
5. पूरी पूजन तैयारी के बाद (‘मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमवार व्रतं करिष्ये’) मंत्र से संकल्प लें।
6. इसके बाद (‘ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्. पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्॥) मंत्र से ध्यान करें।
7. ध्यान के बाद ‘नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय’ से शिवजी का और ‘ॐ नमः शिवाय’ से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें।
8. पूजन के बाद व्रत कथा सुनें।
9. इसके बाद आरती कर प्रसाद बांटें।