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फर्रुखाबाद

37 साल बाद सैनिक की पत्नी को मिली स्पेशल फैमिली पेंशन, जानिए कैसे लड़ी लड़ाई

उच्चतम न्यायालय: ड्यूटी के दौरान हुई मौत से पल्ला झाड़ नहीं सकती सेना, देनी होगी स्पेशल फेमिली पेंशन, सैनिक की पत्नी को मिला इंसाफ

फर्रुखाबादMar 18, 2023 / 01:16 pm

Ritesh Singh

जल देवी ने हर जगह पहुंची अपनी फरियाद लेकर

जल देवी ने हर जगह पहुंची अपनी फरियाद लेकर

फर्रुखाबाद निवासी जल देवी के मामले में आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल लखनऊ ने, आर्डिनरी फैमिली पेंशन के बदले स्पेशल फैमिली पेंशन दिए जाने का आदेश सुनाया। मामला यह था कि, वादिनी के दिवंगत पति पूर्व नायक राम नरेश सिंह सन 1982 में सेना की टैंक रेजीमेंट में भर्ती हुए थे।
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ड्यूटी के दौरान हुई थी मौत
जब वह सेना की 38 मीडियम रेजिमेंट में सेना के सत्तासर शस्त्रागार की निगरानी कर रहे थे।
उसी समय उन्हें दिल का दौरा पड़ने से बेहोश हो गए। उन्हें तुरंत लाजिस्टिक नोड के हास्पिटल ले जाया गया। जहां से उन्हें एडवांस ड्रेसिंग स्टेशन, साऊथ कैम्प भेज दिया गया , लेकिन वहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
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सामान्य पारिवारिक पेंशन मिली

उसके बाद मेडिकल ओपिनियन के साथ पेंशन निर्धारण का मामला पी०सी०डी०ए० पेंशन प्रयागराज को भेजा गया, लेकिन उसने पूरी रिपोर्ट को ख़ारिज करते हुए। 1 जुलाई,2004 से 30 जून,2011 तक बढ़ी हुई दर के बाद सामान्य पारिवारिक पेंशन देना शुरू कर दिया l
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जल देवी ने हर जगह पहुंची अपनी फरियाद लेकर

पीड़ित वादिनी सन 2022 तक अपने अधिकार के लिए इधर-उधर अधिकारियों के चक्कर लगती रही। उसका कोई भी सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। तब उसके बाद उसने अपना वकील बदला और अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय के माध्यम से सशत्र-बल अधिकरण लखनऊ में वाद दायर किया। जिसका विरोध करते हुए, भारत सरकार ने कहा कि सैंतीस साल बाद मामले को उठाया गया है। इसलिए यह मामला सुनवाई योग्य नहीं है लेकिन अधिकरण ने मामला पेंशन से संबंधित होने के कारण इसे ख़ारिज करके सुनवाई के लिए नियत किया l
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सुनवाई का दौड़ फिर चला, शुरू हुई हक की लड़ाई

सुनवाई के दौरान वादिनी के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने उसका पक्ष रखते हुए कहा कि सैनिक की मृत्यु उस समय हुई,जब वह सेना की ड्यूटी पर था। मेडिकल अधिकारियों ने इस बात को स्वीकार किया है लेकिन पी०सी०डी०ए० पेंशन प्रयागराज ने मनमानी करते हुए, उसे खारिज कर दिया। जबकि उसका इस मामले में कोई अधिकार नहीं बनता।
स्पेशल फैमिली पेंशन के योग्य नहीं

उधर भारत सरकार के अधिवक्ता ने इस बात का विरोध करते हुए कहा कि सरकार ने तब तक बढ़ी दर से पेंशन दी जब तक वादिनी उसके योग्य थी। उसके बाद सामान्य पेंशन जारी कर दी जो उसे मिल रही है। इसलिए अब वह स्पेशल फैमिली पेंशन के योग्य नहीं है, लेकिन खण्ड-पीठ के सामने यह स्थापित नहीं कर सकी की उसने किस आधार पर वादिनी की स्पेशल फेमिली पेशन ख़ारिज की। जबकि पेंशन रेगुलेशन, 1961 और 2008 का पैरा-213, 82 और 105 से उसके पक्ष में है l
न्यायमूर्ति रवीन्द्र नाथ कक्कड़ ने सुनाया फैसला

वादिनी के अधिवक्ता ने दलील दी कि उच्चतम न्यायालय ने नंद लाल बनाम उत्तराखण्ड राज्य के मामले में निर्णय सुनाया है कि ड्यूटी के दौरान होने वाली मृत्यु को सेना से संबंधित माना जाएगा। न्यायमूर्ति रवीन्द्र नाथ कक्कड़ और मेजर जनरल संजय सिंह की खण्ड-पीठ फैसला सुनाया और सरकार को निर्देशित किया कि चार महीने के अंदर वादिनी को सभी लाभ प्रदान न करने पर आठ प्रतिशत ब्याज देय होगा l

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