फैजाबाद

राम मंदिर के पक्षकार का बड़ा बयान नमाज के लिए मस्जिद ज़रूरी नहीं

28 सितम्बर को इसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा अपना फैसला राम मंदिर मुकदमे को लेकर बेहद अहम् है सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला

फैजाबादSep 25, 2018 / 01:36 pm

अनूप कुमार

राम मंदिर के पक्षकार का बड़ा बयान नमाज के लिए नहीं है मस्जिद की ज़रुरत

फैजाबाद : मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का हिस्सा है या नहीं इस मामले को लेकर आगामी 28 सितम्बर को देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फैसले को लेकर फैजाबाद में राम जन्मभूमि मामले में निर्मोही अखाड़ा के तरफ से पैरोकारी कर रहे महंत रामदास का बयान आया है। महंत रामदास ने कहा कि नमाज तो कहीं भी पढ़ी जा सकती है चाहे वह खाली जमीन हो घर का कमरा हो प्लेन हो या रेलवे स्टेशन हो लेकिन पूजा केवल मंदिर में ही संभव है | क्योंकि पूजा के लिए हिंदुओं को मूर्ति की जरूरत होती है और यह घरों में या फिर मंदिरों में ही होते हैं | लेकिन नमाज का कोई स्थान नहीं है कोई भी नमाजी कहीं भी बैठ कर नमाज पढ़ सकता है। दरअसल 28 सितंबर को इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने की उम्मीद है।
28 सितम्बर को इसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा अपना फैसला राम मंदिर मुकदमे को लेकर बेहद अहम् है सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला

मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग है या नहीं सुप्रीम कोर्ट इस पर 28 सितंबर को अपना फैसला सुना सकता है।फैसले में कोर्ट बताएगा कि यह मामला संविधान पीठ को सौंपा जाए या फिर नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला 20 जुलाई को सुरक्षित रखा था कि संविधान पीठ के इस्माइल फारूकी फैसले को बड़ी बेंच को भेजने की जरूरत है या नहीं।दरअसल सुप्रीम कोर्ट विवाद में मालिकाना हक के मुकदमे से पहले इस पहलू पर सुनवाई कर रहा है कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नहीं। शीर्ष कोर्ट की अग्रिम सूची के मुताबिक यह मामला 28 सितंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया है। अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने पर अयोध्या एक्ट के बाद केंद्र सरकार ने विवादित परिसर के आसपास की जमीन को अधिग्रहण कर लिया था जिस पर आपत्ति दाखिल की गई थी कि मस्जिद की जमीन को अधिग्रहण नहीं किया जा सकता।

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