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इटावा

इन्होंने किया था भीतर आघात, इसलिए शिवपाल को मजबूरन लड़ना पड़ गया अपने के ही खिलाफ चुनाव, आज किया खुलासा

आमंत्रण के बावजूद समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव या परिवार का कोई भी सदस्य इटावा के सैफई नहीं पहुंचा, लेकिन प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने उनके जन्मदिन मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

इटावाNov 22, 2019 / 05:49 pm

Abhishek Gupta

shivpal yadav

मुलायम के कहने के बावजूद आजम के पक्ष मे सड़कों पर नहीं उतरे समाजवादी: शिवपाल,मुलायम के कहने के बावजूद आजम के पक्ष मे सड़कों पर नहीं उतरे समाजवादी: शिवपाल,shivpal yadav

इटावा. आमंत्रण के बावजूद समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव या परिवार का कोई भी सदस्य इटावा के सैफई नहीं पहुंचा, लेकिन प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने उनके जन्मदिन मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने इस मौके पर बड़े दंगल का आयोजन भी किया, जिसमें देश के बड़े-बड़े पहलवानों ने हिस्सा भी लिया, हालांकि नेताजी की कमी जरूर खली। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर परिवार में एकता की बात पर जोर दिया। वहीं उनके निशाने पर प्रोफेसर रामगोपाल यादव भी रहे। शिवपाल ने 2019 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद सीट पर भतीजे अक्षय यादव के खिलाफ चुनाव लड़ने के पीछे की वजह भी आज खुलकर साझा की।
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रामगोपाल ने कह दिया था ऐसा-
शिवपाल ने कहा कि मुझे मुख्यमंत्री नहीं बनना है। अगर मुझे मुख्यमंत्री बनना होता तो 2003 में ही मुख्यमंत्री बन जाता। हम नेता जी से बोल देते तो नेताजी हमें ही मुख्यमंत्री बनाते, लेकिन मुझे नहीं बनना था। उन्होंने आगे कहा कि फिरोजाबाद में चुनाव लड़ने के पीछे की वजह बताते हुए रामगोपाल यादव पर हमला किया। उन्होंने कहा कि मैं प्रोफेसर (रामगोपाल यादव) से मिला और कहा कि मुझे कुछ नहीं चाहिए। सब लोग एक रहें बस। लेकिन जब बात नहीं बनी तो उनकी ओर से अखबारो में बयान दिया था कि ऐसी पार्टियां (प्रसपा) तो हमने बहुत बनती देखी हैं। जिनको 500 वोट तक नहीं मिलेंगे। पूर्वांचल में जाएंगे तो पीटे जाएंगे, इसलिए हमने फिरोजाबाद से चुनाव लड़ा था।
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हम आज भी नेताजी की बात मानने को तैयार-

प्रो. रामगोपाल की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी तरफ केंद्र सरकार का हाथ था। मेरे पास तो पैसा नहीं था उसके बावजूद भी मुझे परिवार की बात माननी पड़ी। मुझे वोट कब मिला और भाजपा में चला गया। बस मैं यह कहना चाहता हूं कि मैं तो नेताजी की बात आज भी मानने को तैयार हूॅं। पंच चुन लेना, समस्त बुजुर्ग बैठ जाएं। हम बात मानने को तैयार हैं। इसलिए हम चाहते हैं कि समाजवादी विचारधारा के लोग एक साथ होकर लोहिया जी के बताए रास्ते पर चलें।

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