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इटावा

लॉयन सफारी में चारों शावकों ने खोली आंखे, बेस्ट मदर बनी शेरनी जेसिका

लायन सफारी मे शेरनी जेसिका के 4 शावको ने आंख खोल शुरू की चहल कदमी

इटावाJul 11, 2019 / 09:12 am

आकांक्षा सिंह

etawah

लॉयन सफारी में चारों शावकों ने खोली आंखे, बेस्ट मदर बनी शेरनी जेसिका

इटावा. इटावा लायन सफारी में 26 जून को पैदा हुए शेरनी जेसिका के चारों शावकों ने आंखें खोलने के साथ ही चहलकदमी शुरू कर दी है। फिलहाल उनके पास जाने की किसी को अनुमति नहीं दी गई है। यहां तक कि कीपर या डॉक्टर को भी जाने से मनाही है। 26 जून को जेसिका ने चार शावकों को जन्म दिया था तब से सीसीटीवी से इनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।

तीन माह बाद दूसरे बाड़े मे रखा जाएगा
इटावा सफारी पार्क के डायरेक्टर वी.के. सिंह ने बताया कि जेसिका चारों शावकों का ख्याल रख रही है। उसने पहले की तरह भोजन भी लेना शुरू कर दिया है। सभी के खाने-पीने का ख्याल रखा जा रहा है। उनके मुताबिक शेरनी व शावकों को प्राकृतिक रूप से रहने का अवसर दिया गया है, कोई दखलंदाजी नहीं की जा रही है। इससे पहले जेसिका ने सिम्बा, सुल्तान व बाहुबली को भी जन्म दिया था। दो-चार दिन बाद जब डाक्टर या कीपर इन ब्रीडिंग सेंटर में जाएंगे तभी इन शावकों का वजन आदि लेने की कवायद होगी। वीके सिंह ने बताया कि गिद्ध जैसे पक्षी भी सफारी में आते जाते रहते हैं। इनसे शावकों की सुरक्षा के लिए ब्रीडिंग सेंटर को कवर्ड कराया जाना जरूरी है। सभी शावक बच्चे मां जेसिका के साथ मस्ती कर रहे हैं इन्हें बैरक नंबर दो में रखा गया है। शेरनी व उसके बच्चे बिल्कुल स्वस्थ हैं। जेसिका ने 26 जून को चार बच्चों को जन्म दिया था। तब से इटावा सफारी पार्क में खुशी का माहौल है। अभी तीन माह तक इन बच्चों को बाड़े में ही रखा जाएगा। इन बच्चों को जब बाहर निकाला जाएगा तो खुले एरिया में जाल की व्यवस्था की जाएगी उसके बाद ही बाहर निकाला जाएगा। ताकि इनके ऊपर कोई आसमान का पक्षी हमला न कर सके। सफारी में जितने भी शावकों की किलकारियां गूंज रही हैं। वे सभी शावक जेसिका के ही हैं। सफारी में जेसिका की वजह से ही शावक आए हैं, खुशहाली आई है। इसलिए सफारी प्रशासन ने एक सड़क को जेसिका रोड का नाम देने का निर्णय लिया है।

12 लोग जेसिका व उसके शावकों पर रखते हैं नजर
सिंह ने बताया कि हालांकि जेसिका के ब्रीडिंग सेंटर का ताला बंद कर दिया गया है और सिर्फ इमरान ही उसके आसपास जा सकता है लेकिन कीपर से लेकर स्वीपर तक लगभग 12 लोग जेसिका व उसके शावकों की गतिविधियों पर पूरी नजर रखे हुए हैं। डाक्टरों की टीम भी देखरेख कर रही है और बायोलाजिस्ट भी उसके व्यवहार का अध्ययन कर रहे हैं। यही कारण है कि सफारी प्रशासन जेसिका व चारों बच्चों की देखरेख भली भांति कर रहा है। प्रत्येक दो घंटे में इसकी रिपोर्ट डायरेक्टर को दी जाती है। उन्होंने बताया कि दिसम्बर 2015 में इटावा सफारी लाए जाने से पहले जेसिका गुजरात में थी और वहां जूनागढ़ में उसने एक मादा शावक को जन्म दिया था। जिसका नाम जेनिफर रखा गया। अब जेनिफर सात वर्ष की हो गई है। गुजरात के जूनागढ़ से आठ शेरों को इटावा लाया जा रहा है और खास बात यह है कि जिन आठ शेर-शेरनी को इटावा सफारी में लाया जाएगा उनमें जेसिका की बेटी जेनिफर भी शामिल है।

सीसीटीवी कैमेरे से देखी जाती है गतिविधी
अब सफारी प्रशासन के लिए इन शावकों को सेहतमंद रखना एक बड़ी चुनौती है। जिसके लिए सफारी प्रशासन जी जान से जुटा है। फिलहाल बच्चे अपनी मां जेसिका के साथ ही रहेंगे। सीसीटीवी कैमरे से उन पर नजर रखी जा रही है। किसी को भी जेसिका के पास जाने की इजाजत नहीं है। खास बात यह है कि शेरनी जेसिका चारों बच्चों का बराबर से ख्याल रख रही है। जिसके चलते किसी को कोई परेशानी नहीं हो रही है। वह बारी-बारी से चारों शावकों को दूध पिला रही है।

बेस्ट मदर है जेसिका
सिंह ने बताया कि सफारी प्रशासन इस तरह सतर्क है कि शावकों और जेसिका को लेकर रत्ती भर भी रिस्क नहीं ली जा रही है। एक कीपर इमरान जिसके साथ जेसिका की अच्छी ट्यूनिंग है। सिर्फ उसी को ब्रीडिंग सेंटर के आसपास जाने की इजाजत है। सफारी में पहले से मौजूद तीनों शावक जेसिका के ही हैं। उन्होने बताया कि जेसिका एक बेस्ट मदर है। उसकी खास बात यह है कि वह चारों बच्चों को बराबर से लाड दुलार दे रही है। जेसिका एक करवट लेती है तो उसके दो शावक दूध पी लेते हैं। इसके बाद वह करवट बदल लेती है और फिर दूसरे दो शावकों को दूध पिला देती है। इस तरह वह चारों शावकों का बराबर से ध्यान रख रही है। एक-डेढ़ घंटे के अंतराल पर यह शावक दूध पी रहे हैं।

2015 में हीर व ग्रीष्मा ने पांच शावकों को जन्म दिया था
6 अक्टूबर 2016 जन्मे शिंबा सुल्तान और 15 जनवरी 2018 को जन्मे बाहुबली शेरनी जेसिका के तीनो शावक इस समय लाइन सफारी की रौनक बने हुए है वैसे इससे पहले जुलाई और अगस्त 2015 में शेरनी हीर व ग्रीष्मा ने पांच शावकों को जन्म दिया था । इनमें से दो की मौत तो जन्म के साथ ही हो गई जबकि कुछ दिनों बाद शेष तीन शावको की भी मौत हो गई । शेरनी हीर के दो शावक 18 जुलाई 2015 को पैदा हुए है जिनकी जन्म के साथ ही मौत हो गई जब कि इसी तरह से शेरनी ग्रीष्मा के पैदा हुए तीन शावको मे दो की 21 जुलाई 2015 को एक शावक की 14 अगस्त 2015 को मौत हो गई। हीर और ग्रीष्मा के शावकों की मौत के बाद लाइन सफारी के ब्रीडिंग सेंटर पर सवाल उठने लगे थे लेकिन शेरनी ग्रीष्मा ने इस मिथक को तोड दिया है। सीजेडए के नियमों के मुताबिक लायन सफारी को जनता के लिए तभी खोला जा सकता है जब वहां कम से कम दस शावक हों । सफारी में फिलहाल तीन शावक हैं । इसी महीने संख्या बढ़ने वाली है। दरअसल लायन सफारी को खोलने के लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने कम से कम 10 बच्चों की अनिवार्यता लगाई है ।

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