बकेवर के चंद्रपुराकला निवासी किसान विजय उर्फ राजू चतुर्वेदी ने बताया कि उन्होंने करीब 5 एकड़ में धान किया था, लेकिन उनका एक भी दाना सरकारी खरीद केंद्र पर नहीं बिका। बकेवर के ही कुडरिया निवासी प्रमोद कुमार तिवारी ने बताया कि उन्होंने 2 एकड़ में धान की पैदावार की। सहकारी समिति खरीद केंद्र के कई चक्कर लगाये, लेकिन उनका एक दाना भी नहीं बिका। इन किल्लतों से परेशान भर्थना के ब्रह्मनगर निवासी राजीव का कहना है कि पर्याप्त कीमत न मिलने से उन्होंने हाइब्रिड धान की उपज लेना बंद कर दिया है।
शासन की ओर से इटावा जिले में कुल 33,800 मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य रखा गया है, जो किसानों के मौजूदा रुख को देखते हुए पूरा होता हुआ नहीं दिख रहा है। पिछले वर्ष अब तक करीब साढ़े तीन हजार किसानों ने क्रय केंद्रों पर धान बेचा था, लेकिन इस बार सिर्फ 751 किसान ही खरीद केंद्रों पर पहुंचे हैं। जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने बताया कि सरकारी समर्थन मूल्य पर धान की खरीद करने के लिए 7 एजेंसियां लगाई गई हैं। मार्केटिंग शाखा को 15800 मीट्रिक टन, पीसीएफ को 4700, कर्मचारी कल्याण निगम को 4000, भारतीय खाद्य निगम को 1500, यूपी एग्रो को 1000, नेफेड को 3000 और एनसीसीएफ को 3800 मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य दिया गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक 4518.54 मीट्रिक टन ही धान खरीदा जा सका है, जो कुल खरीद का 13.37 प्रतिशत है।
समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष गोपाल यादव का कहना है कि सरकार की गलत नीतियों के चलते किसान अपना धान नहीं बेच पा रहे हैं और 1750 रुपये के सरकारी रेट होने के बाबजूद भी 1200 या 1300 रुपये में निजी आढ़तियों को बेचने पर मजबूर हैं। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष उदयभान सिंह ने कहा कि पूरे जनपद के खरीद केंद्रों का दौरा किया है, लेकिन सरकार के गलत मानकों और किसान विरोधी नीतयों के चलते धान खरीद नहीं हो पा रही है।