पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की बकेवर से स्मृतियाँ जुड़ी हुई है। 22 मार्च 1991 में जनता कालेज बकेवर में आकर उन्होंने भारतरत्न डॉ भीमराव अंबेडकर जन्मशती का शुभारम्भ किया था। जनता कालेज बकेवर के तत्कालीन प्रबंध सचिव आनंद स्वरूप मिश्र व प्राचार्य शिवसेवक तिवारी द्वारा कालेज में डॉ भीमराव अम्बेडकर के जन्म को सौ वर्ष पूर्ण होने पर जन्मशती के शुभारंभ पर आयोजित कार्यक्रम में पूर्व विदेशमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को आमंत्रित किया गया था। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने प्राध्यापकों छात्रों व जनसमूह को सम्बोधित करते हुये उन्होंने डॉ अम्बेडकर को कालजयी स्मृति बताया।
37 साल पहले की इस स्मृति को जनता कालेज बकेवर ने काफी सहेज कर रखा है, कालेज के रिकॉर्ड में अटल जी के दौरे के समय की देवेंद्र तस्वीरों को स्मृतियों के तौर पर सजा करके रखा गया है। कालेज के प्रबंधक अरविंद मिश्रा कहते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई से उनकी दूर की रिश्तेदारी भी है।
अटल जी जैसा कोई दूसरा नेता नहीं देखा- अटल बिहारी बाजपेयी के बकेवर आगमन के समय कालेज के प्राध्यापक रहे डॉ हरसहाय व डॉ जी के अग्रवाल कहते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बेहद सरल हृदयी व्यक्ति थे। सभी से बेहद सरलता से मिले थे उनसे मिल कर ऐसा लगा ही नहीं कि किसी बड़े राजनेता से मिल रहे हैं। इटावा के वरिष्ठ पत्रकार सुभाष त्रिपाठी देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के निधन पर शोक जताते हुए बताते हैं कि अटल बिहारी बाजपेई के कई दौरे इटावा में हुए हैं। उन दौरों के दौरान अमूमन देखा गया कि अटल जी जब भी पत्रकारों से विभिन्न मुद्दों पर अपनी बात रखते थे तो वे ना खुल कर बात करते थे बल्कि घर परिवार के विषय में भी चर्चा करना नहीं भूलते थे। अपनत्व का एहसास कराने वाला अटल जी जैसा कोई दूसरा नेता नहीं देखा है।
राम मंदिर के सवाल में अटल का जवाब- 1991 इटावा के तत्कालीन सुधांशु होटल में हुई भाजपा कार्यसमिति में अटल जी विशेष तौर पर शामिल हुए थे। कार समिति में शामिल होने के बाद सिंचाई विभाग के सर्किट हाउस पर उन्होंने पत्रकारों के बीच खुल कर के बात की क्योंकि उस समय राम मंदिर आंदोलन चरम पर था और लगातार पत्रकार राम मंदिर आंदोलन को लेकर के सवाल उनसे किया करते थे, जिसके जवाब भी अटल बिहारी वाजपेई बड़ी होशियारी से देते थे।
मुलायम सिंह यादव के गढ़ में अटल का बड़ा असर- 1998 के चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई इटावा के राजकीय इंटर कॉलेज में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सुखदा मिश्रा के पक्ष में जनसभा को संबोधित करने के लिए पहुंचे। तब तक राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा धराशाई किया जा चुका था, लेकिन अटल बिहारी वाजपेई ने अपनी वाक पटुता से सुखदा मिश्रा के पक्ष में ऐसे प्रचार किया जिसका मुलायम सिंह यादव के प्रभाव वाले समाजवादी गढ़ इटावा में व्यापक असर हुआ और पहली दफा सुखदा मिश्रा के रूप में भारतीय जनता पार्टी ने विजय पाई। यह था अटल बिहारी बाजपेई के करिश्मे का असर कि जहां अर्से से भाजपा जीत को तरस रही थी वहां, अटल जी की सभा ने वहां का इतिहास ही बदल दिया।
पूर्व मंत्री सुखदा मिश्रा के भजीते ने किया अटल को याद- अटल बिहारी वाजपेयी के 1998 वाले दौरे की याद करते हुए भाजपा की पूर्व मंत्री सुखदा मिश्रा के भतीजे सोमनाथ बाजपाई बताते हैं कि 13 दिन की सरकार गिर चुकी थी। वाजपेई जी ने इटावा के राजकीय इंटर कॉलेज में सभा को संबोधित किया और उसके बाद सिंचाई विभाग के सर्किट हाउस में उनके खाने का बंदोबस्त और इंतजाम किया गया था जहां पर उन्होंने अटल बिहारी वाजपेई से चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लिया और उनको खाना खिलवाया। उनके निधन से वो बेहद दुखी नज़र आ रहे हैं। अटल जी जैसा जननायक अब दोबारा इस दुनिया में पैदा नहीं होगा।