छोटी सी उम्र में मीना पर आन पड़ी थी घर की जिम्मेदारी
मीना कुमार ने छोटी सी उम्र में अपने घर की सारी जिम्मेदारियों का बोझ अपने कंधों पर उठा लिया था। 7 साल की उम्र में वे फिल्मों में एक्टिंग करने लगी थीं। वो बेबी मीना के नाम से पहली बार फिल्म ‘फरजद-ए-हिंद’ में दिखीं। इसके बाद उन्होंने ‘लाल हवेली’, ‘अन्नपूर्णा’ और ‘सनम’ जैसी कई फिल्में की। लेकिन असली पहचान उन्हें साल 1952 में फिल्म ‘बैजू बावरा’ से मिली। इसके बाद वह लगातार सफलता की सीढिय़ा चढ़ती गईं। बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड पाने वाली पहली अभिनेत्री थीं।
एक साल फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट हुई तीन फिल्में
इस बात से उनकी अदाकारी का अंदाजा लगाया जा सकता है कि साल 1963 में दसवें फिल्मफेयर अवॉर्ड में बेस्ट एक्ट्रेस कैटेगरी में मीना की तीन फिल्म नॉमिनट हुई थीं। अवॉर्ड ‘साहिब बीवी और गुलाम’ में ‘छोटी बहू’ के रोल के लिए मिला था। मीना कुमारी ने कॅरियर में जो बुलंदियां हासिल की, निजी जिंदगी में उतनी ही मुश्किलें झेलीं। जन्म से लेकर अंतिम घड़ी तक उन्होंने दुख ही दुख झेला।
हो गई थी शराब की आदी
मीना कुमारी और कमाल अमरोही की शादी के किस्से भी बड़े दिलचस्प हैं। लेकिन, उनके रिश्ते कभी मधुर नहीं रहे। कमाल अमरोही जब ‘पाकीजा’ बना रहे थे, तब वो बुरी तरह आर्थिक संकट में फंस गए थे। मीना ने अपनी सारी कमाई देकर पति की मदद की। इसके बावजूद इस फिल्म के दौरान दोनों के संबंध लगातार खराब हो गए। नौबत तलाक तक पहुंच गई। मीना कुमारी की तबीयत भी खराब रहने लगी थी। पैसे भी नहीं थे। मीना कुमारी इतनी बीमार हो गईं कि उनका इलाज कर रहे डॉक्टर ने सलाह दी कि नींद लाने के लिए एक पेग ब्रांडी लिया करें। डॉक्टर की यही सलाह उन पर भारी पड़ गई और मीना कुमारी को शराब की लत लग गई।