पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी एक राजनेता के तौर पर जितने सराहे गए हैं,उतना ही प्यार उनकी कविताओं को भी मिला है। उनकी कई कविताएं उनके व्यक्तित्व की परिचायक बन गईं तो कईयों ने जीवन को देखने का उनका नजरिया दुनिया के सामने रख दिया।
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जब मौत से ठन गई थी अटल बिहारी वाजपेयी की:
साल 1988 में जब वाजपेयी किडनी का इलाज कराने अमरीका गए थे तब धर्मवीर भारती को लिखे एक खत में उन्होंने मौत की आंखों में देखकर उसे हराने के जज्बे को कविता के रूप में सजाया था।
अटल बिहारी वाजपेयी ने मौत पर एक कविता लिखी थी। इस कविता के बोल हैं,
‘मौत से ठन गई! जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।’ लिखी कई कविताएं:
अटल बिहारी वाजपेयी की एक छवि उनके साहित्यिक पक्ष से भी जुड़ी है। उन्होंने अपने जीवन काल में कई कविताएं लिखीं और समय-दर-समय उन्हें संसद और दूसरे मंचों से पढ़ा भी। उनका कविता संग्रह ‘मेरी इक्वावन कविताएं’ खासा लोकप्रिय है।