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UP Assembly Election 2022: पहले चरण का चुनाव प्रचार थमा, 58 सीटों पर 10 फरवरी को मतदान

UP Assembly Election 2022: पहले चरण में मैदान में उतरे करीब 46 प्रतिशत प्रत्याशी करोड़पति हैं। उम्मीदवारों की औसतन आय 3.72 करोड़ रुपये है। 156 प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं।

Feb 08, 2022 / 05:59 pm

Nitish Pandey

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UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के पहले चरण की 58 सीटों पर चुनाव प्रचार बुधवार शाम छह बजे थम गया। आगामी 10 फरवरी को पहले चरण के लिए मतदान होगा। जिसमें पश्चिमी यूपी के 11 जिलों के 58 सीटों पर 623 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला मतदाता करेंगे। वहीं साल 2017 में हुए चुनाव इन 58 सीटों में से 53 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। इस दोबोरा पश्चिम के इन सीटों पर बीजेपी जीत दर्ज करने के लिए पूरा जोर लगा दिया है। तो वहीं सपा-रालोद गठबंधन भी इस बार पूरे दमखम के साथ मैदान में है, पिछले चुनाव में सपा को 2 और रालोद को सिर्फ एक सीट पर ही जीत मिली थी। हालांकि पिछली बार किसानों ने बीजेपी को वोट दिया था और खुल राकेश टिकैत बीजेपी समर्थन में थें, लेकिन इस बार चुनाव में स्थितियां बदल गईं हैं। इस बार किसान बीजेपी से नाराज हैं, साथ ही किसान संगठन भी बीजेपी के खिलाफ दिखाई दे रहे हैं। किसानों की मांग है कि लखीमपुर कांड मामले में मोदी सरकार के मंत्री और सांसद अजय मिश्र उर्फ टेनी के उपर कार्रवाई क्यों नहीं हुई।
2017 के चुनाव में क्या हुआ था ?

साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुत मिला था। शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, अलीगढ़, बुलंदशहर, आगरा और मथुरा की 58 सीटें शामिल हैं, इन्हीं 58 सीटों पर आगामी 10 फरवरी को मतदान होना है। 2017 में 58 में से 53 पर 2017 में भाजपा ने जीत हासिल की थी। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के खाते में 2-2 सीटें गईं थी, तो वहीं रालोद के एक प्रत्याशी की जीत हुई थी, जो बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे। रालोद ने पश्चिमी यूपी की 23 जिलों की 100 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था।
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कुल कितने प्रत्याशी मैदान में हैं और चुनौतियां क्या हैं ?

साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार पॉलिटिकल पार्टियों की चाल और स्थानीय स्तर पर वोटों का समीकरण भी बदला है। 2017 में भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार बीजेपी के सामने मुश्किलें हैं। जिसमें किसान आंदोलन, लखीमपुर खीरी कांड के चलते वेस्ट के वोटर्स का मिजाज कुछ बदला सा नजर आ रहा है और इसी बात का फायदा सपा और रालोद गठबंधन उठाना चाहता है। वहीं, बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशी अलग से चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। इस बार इन 58 सीटों पर 623 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं जिसका फैसला मतदाता 10 फरवरी को करेंगे और नतीजे 10 मार्च को आएंगे।
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किसान आंदोलन का किसे मिलेगा फायदा?

तीन कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन का गढ़ पश्चिमी उत्तर प्रदेश रहा है। विपक्षी पार्टियों का मानना है कि वेस्ट यूपी से चुनाव शुरू होने से किसानों की नाराजगी का भारतीय जनता पार्टी को नुकसान और गैर भाजपा दलों खासकर सपा और रालोद गठबंधन को फायदा हो सकता है। ऐसी स्थिति में भारतीय जनता पार्टी को अपनी सीट बचाने और गैर बीजेपी दलों को अधिक सीट पाने की जंग में जोर आजमाइश करनी होगी।

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