बता दें कि शनिवार को सपा-रालोद से टिकट फाइनल होते ही बुढ़ाना सीट से घोषित प्रत्याशी राजपाल सिंह बालियान भाकियू की राजधानी सिसौली पहुंचे थे। जहां उन्होंने किसान भवन स्थित चौधरी चरण सिंह और चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया था और भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत से आशीर्वाद प्राप्त किया था । उस दौरान भाकियू अध्यक्ष और बालियान खाप के मुखिया चौधरी नरेश टिकैत मंच से कहा था कि यह सीट ऐतिहासिक सीट है और इस सीट पर कड़ी मेहनत कर गठबंधन प्रत्याशी राजपाल बालियान को जिताने के लिए समर्थन किया जाता है। इतना ही नहीं चौधरी नरेश टिकैत ने गठबंधन प्रत्याशी राजपाल बालियान को पार्टी का सिंबल भी चौधरी चरण सिंह और चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की प्रतिमा के समक्ष दिया था। जिसके बाद भाजपा खेमे में हड़कंप की स्थिति पैदा हो गई थी।
इस मामले ने सियासी तूल पकड़ा तो भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत बैकफुट पर आ गए हैं और समर्थन देने की बात को सिरे से खारिज कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चे का प्रतिबंध है, हम उससे बाहर नहीं जा सकते हैं। यहां पर बसपा और सपा वाले भी आए और भाजपा वाले भी आएंगे तो उनकी भी मेहमाननवाजी की जाएगी। उन्होंने कहा कि अभी तो किसी का पर्चा भी नहीं भरा गया है। 13 महीनों से जो किसान आंदोलन चला, हमें तो उसका भी सोचना है।
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यहां बढ़ सकती है कांग्रेस की मुश्किल, पार्टी फैसले के खिलाफ बगावत कर रहे कार्यकर्ता पिछली बार भाजपा का समर्थन करना, हमारी भूल उन्होंने कहा कि पिछली बार हमने भाजपा को समर्थन दिया था, जो हमारी भूल रही। इस बार हम वह भूल नहीं करेंगे। चुनाव तो आते-जाते रहते हैं। भारतीय किसान यूनियन का एक अस्तित्व है और संयुक्त किसान मोर्चे का एक बंधन है, हम उससे बाहर नहीं जाएंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पर कोई स्टे नहीं आ रखा है, जो हम कुछ भी नहीं कह सकते हैं।