दोनों जनसभाओं में कांग्रेस पर बरसे
इस सप्ताह निर्मल और नागरकुरनूल जिलों की दोनों जनसभाओं में, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) प्रमुख KCR ने कांग्रेस पार्टी की आलोचना की। और जनता से कांग्रेस पार्टी को बंगाल की खाड़ी में फेंकने का आह्वान किया। कुछ समय पहले तक KCR भाजपा के लिए इस लहजे का इस्तेमाल करते थे।
कांग्रेस को बंगाल की खाड़ी में फेंक देना चाहिए
कांग्रेस नेताओं के वादे के बाद कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो वह धरनी पोर्टल को खत्म कर देगी, केसीआर कांग्रेस पर पलटवार कर रहे हैं। नागरकुरनूल में 6 जून को जनसभा में उन्होंने कहा, ”धरनी पोर्टल को बंगाल की खाड़ी में फेंकने की बात करने वालों को ही बंगाल की खाड़ी में फेंक देना चाहिए।”
राजस्व प्रणाली में सुधार के लिए BRS सरकार लाया था धरनी पोर्टल
राजस्व प्रणाली में बड़े पैमाने पर सुधार के तहत BRS सरकार 2020 में सभी भूमि रिकॉर्ड के लिए वन-स्टॉप सॉल्यूशन के रूप में धरनी पोर्टल लाई थी। हालांकि, कांग्रेस पार्टी का दावा है कि धरनी ने भूमि मालिकों, विशेषकर किसानों की समस्याओं को बढ़ाया है।
भाजपा भी धरनी की आलोचक रही पर केसीआर रहे चुप
BRS प्रमुख केसीआर, हालांकि, भाजपा पर चुप रहे, जबकि भाजपा भी धरनी की आलोचना कर रही है। केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने पिछले महीने कहा था कि केसीआर परिवार और बीआरएस धरनी पोर्टल का इस्तेमाल कर लोगों को लूट रहे हैं। यह भी पढ़ें – चुनाव आयोग ने कसी कमर, 10- 27 जून तक होगी FLC, जांचे जाएंगे EVM-VVPAT
बीआरएस प्रमुख में क्या चल रहा है तय करना मुश्किल
हालांकि यह साफ नहीं है कि बीआरएस प्रमुख रणनीति में क्यों बदलाव कर रहे हैं। लेकिन यह बदलाव कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के सत्ता में आने के कुछ दिनों बाद आया है। केसीआर के बेटे और बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामाराव ने कहा है कि कर्नाटक चुनाव का तेलंगाना पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
कर्नाटक में भाजपा की हार पर बदली चाल
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कर्नाटक में भाजपा की चुनावी हार के मद्देनजर बदले हुए राजनीतिक समीकरणों के कारण केसीआर ने अपना रुख बदला है। लोकसभा चुनाव 2019 तक केसीआर भाजपा को राज्य में एक गैर-मौजूद ताकत के रूप में खारिज करते थे। हालांकि, राज्य की 17 में से चार लोकसभा सीटें जीतकर भाजपा ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी और दो विधानसभा उपचुनावों में जीत ने इसे और मजबूत कर दिया।
भाजपा को नजरदांज करना हो सकता है केसीआर की एक रणनीति
यह भी कहा जा सकता है कि केसीआर के रुख में बदलाव भाजपा को नजरअंदाज करने की रणनीति हो सकती है और यह एक नैरेटिव हो सकता है कि आने वाले चुनावों में कांग्रेस टीआरएस के लिए मुख्य प्रतिद्वंद्वी होगी। पिछले हफ्ते केटीआर ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान टिप्पणी की थी कि भाजपा की समाज में कोई उपस्थिति नहीं है और यह केवल सोशल मीडिया पर मौजूद है।