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Uttar Pradesh Assembly Elections 2022: यूपी में JDU और BJP के बीच हों सकता है चुनावी समझौता, दो दर्जन सीटों पर पेंच

Uttar Pradesh Assembly Elections 2022: नीतीश कुमार यूपी में भाजपा से गठबंधन (JDU BJP Allience in UP) कर यूपी की कुर्मी बाहुल्य क्षेत्रों में अपनी पैठ जमाना चाहते हैं। यूपी चुनाव से उत्तर प्रदेश में जनता दल युनाइटेड का विस्तार करने की है योजना।

Aug 22, 2021 / 01:55 pm

रफतउद्दीन फरीद

JDU BJP Allience in UP

जेडीयू बीजेपी गठबंधन

लखनऊ. Uttar Pradesh Assembly Elections 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 दिलचस्प होने वाला है। सपा, बसपा, कांग्रेस समेत पार्टियों के साथ ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल युनाइटेड (Janta Dal United) भी ताल ठोकने को तैयार है। पूरी संभावना है की जेडीयू भाजपा के साथ मिलकर एनडीए के घटक दल के रूप में यूपी चुनाव में उतरे। इसको लेकर बातचीत का दौर जारी है। सूत्रों की मानें तो बात लगभग बन चुकी है, सिर्फ करीब दो दर्जन सीटों पर ही पेंच फंसा है। उम्मीद जतायी जा रही है कि जल्द ही जेडीयू भाजपा (JDU BJP Allience in UP) के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के फार्मूले पर मुहर लग सकती है। इसके बाद नीतीश कुमार योगी आदित्यनाथ के लिये वोट मांगते नजर आएंगे। नीतीश कुमार यूपी में अपनी पार्टी का विस्तार करना चाहते हैं, तो भाजपा भी विधानसभा चुनाव में कुर्मी वोटों को किसी भी तरह अपने पाले में रखना चाहती है।

 

जेडीयू जता चुकी है गठबंधन की इच्छा

जेडीयू यूपी विधानसभा चुनावों (UP Election 2022) में बीजेपी के साथ आने का मन बना चुकी है। नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू मेडिकल परीक्षा में ईडबल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) को आरक्षण देने के मोदी सरकार के फैसले की सराहना भी कर चुकी है। जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी भी पहले ही इच्छा जता चुके हैं कि जेडीयू भाजपा नेतृतव वाले एनडीए के घटक दल के रूप में यूपी चुनाव में उतारना चाहेगी। जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष अनूप सिंह (Anoop Singh) ने भी प्रेस कांफ्रेंस कर गठबंधन के पक्ष में बयान दिया था। गठबंधन न होने की स्थिति में जेडीयू अकेले यूपी की 200 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात भी कह चुकी है।

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गठबंधन के फार्मूले पर जल्द लगेगी मुहर
सूत्रों के अनुसार गठबंधन को लेकर दोनों पार्टियों में दो बार उच्च स्तरीय बातचीत हो चुकी है। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah), भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) से जेडीयू शीर्ष नेतृत्व की चुनावों को लेकर बातचीत हुई है। जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का भी यूपी में गठबंधन के लिये दोनों दलों के बीच बातचीत होने को लेकर बयान आ चुका है कि, हम यूपी में भी एनडीए के साथ रहना चाहते हैं। खबरों के अनुसार ललन सिंह भी अमित शाह (Lallan Singh Meet Amit Shah) से बात कर चुके हैं। कुल मिलाकर अब उत्तर प्रदेश में जेडीयू और भाजपा गठबंधन (JDU BJP Allience) के आसार नजर आने लगे हैं। उम्मीद जतायी जा रही है कि फार्मूले पर सहमति बनने के बाद गठबंधन पर मुहर लग सकती है।

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नीतीश कुमार क्यों आना चाहते हैं यूपी

नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में जेडीयू (JDU in UP) का विस्तार करना चाहते हैं। यूपी में अति पिछड़ों की अच्छी खासी तादाद है। उनकी नजर बिहार से सटे यूपी के जिलों की विधानसभा सीटों पर हैं। कहा जाता है कि बिहार से सटी यूपी की करीब 70 के आसपास सीटों पर जेडीयू का प्रभाव भी है। इसके अलावा भुमिहार वोट (Bhumihar Voters in UP) पर भी जेडीयू की नजर है। ललन सिंह (Lallan Singh) को जनता दल युनाइटेड (Janta Dal United) का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना यूपी चुनाव में फायदा लेेने और भुमिहार वोटरों को अपने पले में करने के तौर पर भी देखा जा रहा है। उधर कुर्मियों को साधने के लिये भी नीतीश कुमार आरपी सिंह को मोदी मंत्रीमंडल में शामिल करा चुके हैं। राजनीति के कबीर कहे जाने वाले राम स्वरूप वर्मा और सोने लाल पटेल के बाद यूपी में नीतीश यूपी में कुर्मी जाति के बड़े नेता के तौर पर उभरना चाहते हैं। जेडीयू भाजप की पीठ पर सवार होकर यूपी के कुर्मी बाहुल्य क्षेत्रों में अपनी जड़ें जमाना चाहती है।

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यूपी में कुर्मी वोटों की अहमियत

उत्तर प्रदेश में ओबीसी (OBC Voters in UP) में यादवों के बाद सबसे बड़ी तादाद कुर्मी (Kurmi voters in UP) बिरादरी की मानी जाती है। बिहार से सटे, सोनभद्र, मिर्जापुर, संत कबीर नगर, बस्ती, सिद्घार्थनगर के साथ ही बाराबंकी, कानपुर, उन्नाव, जालौन, फतेहपुर, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, प्रयागराज, एटा, सीतापुर, बलरामपुर, अकबरपुर, बरेली, लखीमपुर खीरी ऐसे जिले हैं जहां विधानसभा सीटों पर कुर्मी वोटर किसी को भी जिताने या हराने की स्थिति में हैं। करीब 10 लाकसभा सीटों और लगभग 40 के आसपास विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां जीत और हार कुर्मी वोटर तय करते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश के 16 जिलों में तो करीब 12 प्रतिशत तक कुर्मी वोटर हैं, जो कभी भी बाजी पलट सकते हैं।

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यूपी में कुर्मी नेता

उत्तर प्रदेश में फिलहाल कुर्मी जाति से छह सांसद और 26 विधायक हैं। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह (Swatantra dev Singh) इसी जाति से आते हैं। उनके अलावा इस जाति से यूपी में एक कैबिनेट मंत्री कुकुट बिहारी वर्मा (Mukut Bihari Verma) और राज्य मंत्री जय कुमार सिंह जैकी (Jay Kumar Jaiki) हैं। भाजपा की सहयोगी केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) भी इसी वर्ग से आती हैं।

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