दरअसल हरक सिंह रावत के कांग्रेस में आने के पीछे दो बड़ी वजह बताई जा रही हैं। पहला हरीश सिंह रावत और हरक सिंह रावत का कद प्रदेश तकरीबन एक समान है। यही वजह है कि हरीश रावत उनके आने से असहज महसूस कर रहे हैं। इसके अलावा दूसरी और बड़ी वजह ये भी है कि एक समय हरक सिंह रावत ने ही हरीश रावत की सरकार को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऐसे में हरीश रावत नहीं चाहते हैं उनकी दोबारा कांग्रेस में एंट्री के बाद एक बार फिर कुछ इसी तरह के हालात बने।
यह भी पढ़ें – Punjab Election 2022: पंजाब में चुनाव की तारीख टली, अब 20 फरवरी को होगी वोटिंग हरक के पक्ष में भी हैं कांग्रेसी
कांग्रेस प्रचार समिति के प्रमुख हरीश रावत के बारे में कहा जा रहा है कि वे बीजेपी के पूर्व मंत्री को फिर से पार्टी में शामिल करने का विरोध कर रहे हैं। हालांकि कांग्रेस के केंद्रीय और राज्य नेतृत्व का एक वर्ग हरक सिंह को पार्टी में लेने के लिए जोर दे रहा है।
कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रीतम सिंह, जिनके हरीश रावत के साथ बहुत अच्छे समीकरण नहीं हैं, और राज्य के एआईसीसी प्रभारी देवेंद्र यादव, हरक रावत को फिर से पार्टी में शामिल करने के पक्ष में हैं।
वहीं जब हरीश रावत से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने सीधे तौर पर विरोध नहीं जताया। उनसे यह पूछा गया कि हरक सिंह पार्टी में आते हैं तो उनका स्वागत करेंगे, तब पूर्व सीएम ने कहा- ‘इसपर टिप्पणी करना पसंद नहीं है। व्यक्ति महत्वपूर्ण नहीं है। पार्टी सामूहिक निर्णय लेगी।’
बहरहाल बीजेपी से निकाले जाने पर घुटन से आजाद हुआ हरक सिंह रावत खुद कितना सहज महसूस कर रहे हैं, ये तो वो ही जानते हैं, लेकिन इतना तय है कि उनके आने से पहले ही कांग्रेस में उठा-पटक हो सकती है। चुनाव नजदीक है और फिलहाल उत्तराखंड में कांग्रेस की स्थिति अच्छी बनी हुई है। ऐसे में हरक सिंह रावत पर विवाद को अंदरखाते सुलझा लिया जाता है तो पार्टी के लिए अच्छा होगा, वरना बीजेपी इस गुटबाजी का फायदा ले लेगी।