खास बात यह है कि इस बढ़त के बीच बीजेपी के दिग्गज भी बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। इन्हीं में से एक असम में बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले हिमंत बिस्वा सरमा। सोनोवाल सरकार में कैबिनेट मंत्री हिमंत बिस्वा ने 1 लाख मतों के साथ जीत दर्ज कर ली है। इस जीत के साथ ही उन्होंने बीस साल से अपने जीत का सिलसिला भी जारी रखा है।
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West Bengal Assembly Election Results 2021: प्रशांत किशोर का दावा हुआ सच, फिर भी लिया इतना बड़ा फैसला असम के कद्दावर नेता और सोनोवाल सरकार में कैबिनेच मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा जालुकबारी सीट से चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को 1,01,911 मतों से मात दी है।
उनका मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी रमेश चंद्र बोरठाकुर से था।
पिछले चुनाव में इतने मतों से रहे विजयी2016 के विधानसभा चुनाव में सरमा ने 75 हजार से अधिक मतों से कांग्रेस उम्मीदवार निरेण डेका को हराया था। सरमा के खाते में 1 लाख 18 हजार से अधिक मत पड़े थे। सरमा इस सीट पर 2001 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं।
असम के पूरे चुनाव के दौरान सीट शेयरिंग से लेकर टिकट बंटवारे तक हिमंत बिस्वा सरमा का रोल काफी अहम रहा। बीजेपी के आलाकमान से लेकर स्थानीय नेताओं तक तालमेल बैठाने में हिमंत का सानी नहीं।
रैलियों में भी हिमंत बिस्व सरमा की धमक देखने को मिली है। सरमा गोगोई के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने वित्त, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। बाद में मनमुटाव के बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया।
विवादित बयानों के चलते सुर्खियों में रहे
अपने विवादिय बयानों की वजह से भी इस चुनाव में हिमंत बिस्वा सरमा सुर्खियों में रहे। फिर चाहे वे मास्क की कोई जरूरत नहीं वाला बयान हो या फिर विपक्षी नेता को सबक सिखाने वाला। चुनाव आयोग ने भी हिमंत बिस्वा के विवादिय बयानों के चलते अंतिम चरण में उनके प्रचार पर दो दिन का बैन लगा दिया था। हालांकि उन्होंने हाईकोर्ट में अपील कर इस फैसले को भी अपने पक्ष में कर लिया था।
यह भी पढ़ेंः Assembly Election Results 2021: कपिल सिब्ब्ल बोले-कोई भी जीते, कुछ मायने नहीं रखता राहुल गांधी के चलते छोड़ी कांग्रेसआपको बता दें कि हिमंत बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी के चलते कांग्रेस का हाथ छोड़ा था। बिस्वा मानना है कि जब तक राहुल गांधी के हाथ में कांग्रेस की कमान रहेगी, कांग्रेस आगे नहीं बढ़ सकती।
इसके अलावा अपने राजनीतिक गुरु तरुण गोगोई से भी हिमंत बिस्वा सरमा नाराज हो गए थे। दरअसल तरुण गोगोई अपने बेटे गौरव को आगे बढ़ाना चाहते थे, ऐसे में अपनी अनदेखी हिमंत बिस्वा से बर्दाश्त नहीं हुई और उन्होंने तरुण गोगोई का साथ छोड़ बीजेपी का दाम थामा और बीजेपी को जीत का स्वाद भी चखाया।