विकास की राजनीति पर मुहर या नहीं..
जिला
मुख्यालय संचालित नगर पालिका परिषद कवर्धा में अध्यक्ष पद के लिए राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है। भाजपा ने एबीवीपी में रहे भाजपा के युवा नेता चंद्रप्रकाश चंद्रवंशी को मौका दिया है, तो कांग्रेस ने अपने कई दफे के पार्षद रहे संतोष यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। दोनों ही प्रत्याशियों ने अपना नामांकन फार्म भरकर जमा किया है। जनता के आशीर्वाद से जीत को लेकर आश्वस्त नजर आए।
चुनाव चिन्ह आंबटन की आखिरी तारीख के बाद असली परीक्षा जनता के बीच होनी है। जहां कांग्रेस अपने पिछले पांच साल के कार्य को लेकर जनता के बीच जाएगी। तो भाजपा अपने पूर्ववर्ती रमन सरकार के
कार्यकाल के विकास कार्य व एक साल के मौजूदा भाजपा सरकार में डिप्टी सीएम विजय शर्मा के कार्यों के बल पर जनता के बीच जाएगी।
राजनीतिक पार्टियों की रणनीति
वर्ष 2020 में हुए नगरीय निकाय चुनाव में सत्तारूढ़ रही कांग्रेस के पक्ष में चुनाव परिणाम गया था। भाजपा एक भी नगरीय निकाय में अपना कब्जा नहीं जमा सकी थी।
कांग्रेस ने भाजपा का सुपड़ा साफ कर दिया था। यहां तक 15 साल से लगातार नगर पालिका कवर्धा में जीत रही भाजपा के आधा दर्जन पार्षद भी नहीं जीत पाए थे, लेकिन इस बार का चुनाव कई मायनों में अलग है।
अब भाजपा सत्ता में है। बीते एक साल में भाजपा ने कुछ अलग काम करने का प्रयास किया है। शहर में विकास के कार्य नजर आने लगा है। कई लंबित कार्यों को पूरा करने व आगे भी बेहतर करने का सपना जनता को दिखाया है, जिसके भरोसे व जनता का भरोसा जितने का प्रयास कर रही है।
फैसला तो 15 फरवरी को ही सामने आएगा, जब 11 फरवरी को शहर की जनता अपना सरकार किसे चुनती है तय कर लेगी, लेकिन इस बीच दोनों ही पार्टियों के नेता जनता के बीच 27 वार्डों में जाकर अपनी बात रखेंगे। इसके बाद ये तय होगा कि विकास की राजनीति पर मुहर लगेगी या जनता अपने हर बार के फैसले को बदलते हुए कुछ चौकाने वाले परिणाम देगी।