scriptUP Election 2022: हसानुराम अंबेडकरी लड़ेंगे अपना 94वां चुनाव | 74 year old hasanuram ambedkar will contest his 94th election | Patrika News
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UP Election 2022: हसानुराम अंबेडकरी लड़ेंगे अपना 94वां चुनाव

UP Election 2022: हसानुराम अंबेडकरी ने 1989 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद सीट से सबसे ज्यादा वोट 36,000 हासिल किए थे। फिलहाल अंबेडकरी ने अपनी पत्नी और समर्थकों के साथ घर-घर जाकर प्रचार करना शुरू कर दिया है।

Jan 21, 2022 / 01:17 pm

Nitish Pandey

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UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के आगरा की खेरागढ़ विधानसभा सीट से 74 वर्षीय हसानुराम अंबेडकरी एक चर्चित उम्मीदवार है जो इस बार अपना 94वां चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र दाखिल किया है। अंबेडकरी ने बताया कि वह एक खेत मजदूर के रूप में काम करते है और उनके पास मनरेगा जॉब कार्ड है। उन्होंने कोई औपचारिक स्कूली शिक्षा ग्रहण नहीं है, लेकिन वह हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी पढ़ और लिख सकते हैं।
कांशीराम द्वारा स्थापित अखिल भारतीय पिछड़ा एंव अल्पसंख्यक समुदाय कर्मचारी फेडरेशन (बामसेफ) के एक सदस्य अंबेडकरी ने कहा कि उन्होंने डॉ. भीम राव अंबेडकर की विचारधारा पर चलते हुए सभी चुनाव लड़े हैं। वह 1985 से लोकसभा, राज्य विधानसभा,पंचायत चुनाव और अन्य विभिन्न निकायों के लिए चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। भारत के राष्ट्रपति पद के लिए 1988 में उनका नामांकन खारिज कर दिया गया था।
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उन्होंने कहा, मैं हारने के लिए चुनाव लड़ता हूं। जीतने वाले नेता जनता को भूल जाते हैं। मैं 100 बार चुनाव हारने का रिकॉर्ड बनाना चाहता हूं। मुझे परवाह नहीं है कि मेरे विरोधी कौन हैं, क्योंकि मैं मतदाताओं को अम्बेडकर की विचारधारा के तौर पर एक विकल्प देने के लिए चुनाव लड़ता हूं।
उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव आगरा और फतेहपुर सीकरी सीटों से लड़ा था लेकिन अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे और 2021 में जिला पंचायत का चुनाव लड़ा था। उन्होंने 1989 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद सीट से सबसे ज्यादा वोट 36,000 हासिल किए थे। फिलहाल अंबेडकरी ने अपनी पत्नी और समर्थकों के साथ घर-घर जाकर प्रचार करना शुरू कर दिया है।
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उन्होंने कहा, मेरा एजेंडा हमेशा निष्पक्ष और भ्रष्टाचार मुक्त विकास और समाज में हाशिए के लोगों का कल्याण रहा है। कुछ समय के लिए बसपा के सदस्य रहे अंबेडकरी ने बताया, मैं बामसेफ का एक समर्पित कार्यकर्ता था और उत्तर प्रदेश में पार्टी की जड़ें मजबूत करने के लिए बसपा के लिए भी काम किया। मैंने 1985 में जब टिकट मांगा, तो मेरा उपहास किया गया और कहा गया कि मेरी पत्नी भी मुझे वोट नहीं देगी। उस बता को लेकर मैं बहुत निराश हो गया था और तब से मैं हर चुनाव एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ रहा हूं।

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